विरल को पुश्तैनी प्रॉपर्टी बिकने पर अपना हिस्सा मिला है. इसे इन्वेस्ट करके वो पैसिव इनकम यानी दूसरी कमाई चाहते हैं. विरल घर लेने की सोच रहे थे क्योंकि घर के किराए पिछले कुछ समय में तेजी से बढ़े हैं. उनका मानना था कि कमाई भी जाएगी और एक नई प्रॉपर्टी भी बन जाएगी. उनके दोस्त ने नसीहत दी कि किराए से कमाना है तो कमर्शियल प्रॉपर्टी खरीदो. विरल कंफ्यूज हैं. रेसिडेंशियल या कमर्शियल में किसे खरीदें. कहां ज्यादा फायदा मिलेगा. आइए जानते हैं.
कोविड के बाद से रेसिडेंशियल और कमर्शियल प्रॉपर्टी दोनों जगह अच्छी डिमांड है. यही वजह है कि रेंटल इनकम यानी किराए से कमाई में जबरदस्त तेजी आई है. रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी में मकान और फ्लैट आते हैं. जबकि कमर्शियल प्रॉपर्टी में शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मॉल, ऑफिस स्पेस, वेयरहाउस यानी गोदाम, डेटा सेंटर, होटल शामिल हैं. पहले बात करते हैं रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी की.
रियल एस्टेट पोर्टल ‘मैजिकब्रिक्स’ के हाउसिंग रेंटल इंडेक्स के मुताबिक, देश के 13 प्रमुख शहरों में घरों के औसत किराए में अच्छी खासी तेजी देखी गई है. जनवरी-मार्च 2022 तिमाही में किराए में औसतन 4 फीसदी, अप्रैल-जून में 8.4 फीसदी, जुलाई-सितंबर में 5.2 फीसदी और अक्टूबर-दिसंबर में 7 फीसदी की तेजी आई है. वहीं जनवरी-मार्च 2023 में औसत किराए में 4.1 फीसदी का इजाफा हुआ. इन शहरों में अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, नवीं मुंबई, नोएडा, पुणे और ठाणे शामिल हैं.
किराया बढ़ने के गणित को उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए दिसंबर 2021 में किसी घर का किराया 20,000 रुपए था. जनवरी-मार्च तिमाही में किराया 4 फीसदी बढ़कर 20,800 रुपए हो गया. अप्रैल-जून में 8.4 फीसदी और बढ़कर 22,547 रुपए, जुलाई-सितंबर में 5.2 फीसदी बढ़कर 23,719 रुपए और अक्टूबर-दिसंबर में 7 फीसदी बढ़कर 25,379 रुपए हो गया. वहीं, जनवरी-मार्च 2023 में यह 4.1 फीसदी बढ़कर 26420 रुपए पहुंच गया. यानी 15 महीने में देश के बड़े शहरों में घर का औसत किराया करीब 6500 रुपए बढ़ा.
कोविड के बाद ऑफिस फिर से खुलने से लोग शहर वापस लौटे और डिमांड में तेजी आई. हालांकि, डिमांड में तेजी के हिसाब से सप्लाई नहीं बढ़ी क्योंकि महामारी के दौरान हाउसिंग प्रोजेक्ट को पूरा करने में काफी रुकावटें आईं. डिमांड और सप्लाई के मिसमैच से किराए काफी बढ़ गए. वहीं, महामारी का वक्त मकान मालिकों के लिए सूखा रहा. वे किराया नहीं बढ़ा सके. इस नुकसान की भरपाई के लिए हालत सुधरने के बाद तेजी से किराए बढ़ाए गए. ऐसे में अभी रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी की रेंटल इनकम पहले के मुकाबले ज्यादा है.
अगर आप निवेश के लिहाज से प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हैं तो रेंटल यील्ड समझना जरूरी है. रेंटल यील्ड का मतलब है प्रॉपर्टी पर किराए से मिलने वाला रिटर्न. दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी की रेंटल यील्ड अधिकतम 2 से 3 फीसद है. मौजूदा समय में कुछ जगहों पर यह बढ़कर 3.5 फीसदी तक पहुंच गई है. वहीं, कमर्शियल प्रॉपर्टी के मामले में रेंटल यील्ड 5 से 6 फीसदी होती है. मॉल या शॉपिंग कॉम्प्लेक्स जैसे हाई-एंड रिटेल में यील्ड 7 से 8 फीसदी तक जाती है. रेंटल यील्ड जितनी ज्यादा किराए से कमाई भी उतनी ज्यादा. ऐसे में कमर्शियल प्रॉपर्टी बेहतर ऑप्शन है.
फिनकार्ट के फाउंडर और CEO तनवीर आलम बताते हैं कि कुछ जगहों पर अभी रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी की रेंटल भले ही ज्यादा हो सकती है, लेकिन सप्लाई ठीक होते ही यह घटकर वापस 2 से 3 फीसदी पर आ जाएगी. कमर्शियल प्रॉपर्टी खरीदने का सबसे बड़ा फायदा लॉन्ग टर्म लीज यानी लंबे समय तक प्रॉपर्टी को किराए पर उठाए जाना है. कमर्शियल प्रॉपर्टी में रेंटर जल्दी-जल्दी लोकेशन बदलना पसंद नहीं करते हैं, जिससे किराया रेगुलर आता है और लीज के मुताबिक रेंट बढ़ता रहता है. रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी में किराएदार छोड़ने पर refurbishment (रीफर्बिश्मन्ट) कॉस्ट यानी मरम्मत, रंगाई-पुताई का खर्च काफी आता है. जिसे लोग ध्यान में नहीं रखते हैं.
रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी की तुलना में कमर्शियल प्रॉपर्टी महंगी पड़ती है. कमर्शियल प्रॉपर्टी का Per Square feet का रेट ज्यादा होता है, लेकिन कुछ मामलों में ओवर ऑल इन्वेस्टमेंट कॉस्ट कम हो सकती है. आप 500 स्क्वायर फुट का ऑफिस लेकर उसे आराम से किराए पर उठा सकते हैं. लेकिन इसी साइज के फ्लैट को किराए पर चढ़ाने में दिक्कत आती है और किराया भी कम मिलता है.
विरल की तरह अगर आपके पास रहने के लिए घर है और आप रेंटल इनकम के लिए इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं तो कमर्शियल प्रॉपर्टी खरीदना बेहतर रहेगा. हालांकि, पहली प्रॉपर्टी खरीदने वाले लोग आमतौर पर रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी यानी घर खरीदना पसंद करते हैं क्योंकि इसमें उन्हें सुरक्षा का भाव महसूस होता है. किसी भी तरह की प्रॉपर्टी खरीदते समय लोकेशन, कनेक्विटिविटी और एमिनिटीज यानी सुख-सुविधाओं पर जरूर गौर करें.