घर खरीदना या फिर किराए पर रहना है बेहतर! आइए जानें इससे जुड़ी सारी खास बातें

किराएदारों को प्रॉपर्टी टैक्स, मेंटेनेंस और EMI की कोई टेंशन नहीं होती है, जबकि घर एक लॉन्ग-टर्म एसेट है. यहां हम इन दोनों के नफे-नुकसान बता रहे हैं.

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कई प्रोजेक्ट के ठेकेदारों ने भुगतान न मिलने के चलते दी काम बंद करने की धमकी. (Pixabay)

कई प्रोजेक्ट के ठेकेदारों ने भुगतान न मिलने के चलते दी काम बंद करने की धमकी. (Pixabay)

तकरीबन सभी लोगों के मन में एक संशय हमेशा रहता है कि वो घर किराये पर लें या खरीदें. लोग अलग-अलग तरह के तर्क देते रहते हैं. किराएदारों को प्रॉपर्टी टैक्स, मेंटेनेंस और EMI की कोई टेंशन नहीं होती है, जबकि दूसरा पक्ष कहता है कि घर एक लॉन्ग-टर्म एसेट है. आज हम दोनों पक्षों को आपने सामने रखेंगे.

जॉब की जगह और सिक्योरिटी

आज के युवा जिस तरह की जॉब करते हैं, उसमें जगह की कोई निश्चितता नहीं रहती है. आज कोई दिल्‍ली में तो कल किसी और शहर में काम कर सकता है. ऐसे लोगों के लिए रेंट ही बेहतर है. इसके अलावा, अगर आप का जॉब सिक्योर नहीं है तो किराए पर रहना अच्छा विकल्प है.

रिस्क कम, लॉकेशन चॉइस

किराये पर रहने में कोई बड़ा रिस्क नहीं हैं. आपको सिर्फ रेंट एग्रीमेंट करना है, ब्रोकरेज देनी है. इसके अलावा, घर में मेंटेनेंस का खर्च भी नहीं कराना होता है. किराये के घर में आप अपनी पसंदीदा लॉकेशन पे घर ले सकते हैं. जैसे, स्कूल या दफ्तर के पास.

एसआईपी में डालें पैसा

अगर आप अहमदाबाद में 50 लाख रुपये का फ्लैट किराये पर लेते हैं तो आपको रेंट के रूप में प्रति महीने औसतन 12-15 हजार रुपये देने होंगे. वहीं अगर आप 50 लाख रुपये का लोन लेते हैं, तो आपको 20 वर्ष के लिए करीब 38-39 हजार रुपये के बीच मासिक EMI देनी होगी. इस तरह एक ही फ्लैट के लिए आपको रेंट की तुलना में खरीदने की स्थिति में कई गुना अधिक रकम देनी होगी.

दूसरी ओर, अगर आप महज 45 हजार रुपये मासिक रूप में 10 साल तक SIP में डालते हैं तो अगले 10 साल में अनुमानित रूप से 12 फीसदी ग्रोथ के साथ यह रकम 1 करोड़ रुपये से भी अधिक हो सकती है. अगर आपकी प्रॉपर्टी की वैल्‍यू में इस दौरान 2.5 गुना की वृद्धि होती है, तब जाकर ही आप SIP के बराबर पहुंच पाएंगे.

फर्स्ट बायर

आगर आपके पास एक भी मकान नहीं है तो आपके लिए किराए से ज्यादा फायदा खुद का मकान खरीदने में हैं क्योंकि अक्सर लोग अपने पास मौजूद अतिरिक्त पैसे को खर्च कर देते हैं.

सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर विशाल शाह कहते हैं कि घर एक बेसिक जरूरत है इसलिए होम लोन पर कितना ब्याज जाता है इसका कैलकुलेशन न करें और घर खरीद लें. फर्स्ट बायर के लिए घर ही प्रायोरिटी होनी चाहिए.

लॉन्ग-टर्म इनवेस्टमेंट

किराए पर आप चाहें जितने दिन भी रहें, वो मकान आपका नहीं होता है. इसलिए उसकी कीमतों में होने वाली बढ़ोतरी का कोई फायदा आपको नहीं मिलता है. दूसरी ओर, घर खरीदने पर लॉन्ग-टर्म के लिए आपकी एसेट बन जाती है.

टैक्स छूट का लाभ

होम लोन पर आपको ब्याज पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है, जबकि किराए पर ऐसा कोई लाभ नहीं मिलता. होम लोन लेकर घर खरीदने पर आयकर के मौजूदा नियमों के मुताबिक EMI पर टैक्स छूट क्लेम की जा सकती है.

Published - May 25, 2021, 05:54 IST