Nobroker की वेबसाइट पर किराए का घर खोजती शिल्पी नोएडा में रेंट पर घर देख रही थी. शिफ्टिंग को लेकर वो पहले से ही टेंशन में हैं, बजट में घर न मिलना उनके लिए दिक्कतें और बढ़ा रहा है. कई रियल एस्टेट ब्रोकर से बात कर चुकी हैं, जिस लोकेशन पर उन्हें घर चाहिए वहां या तो रेंट पर मकान नहीं है. अगर इका-दुक्का हैं भी तो रेंट काफी ज्यादा है, उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि रेंट पर कितना पैसा खर्च करें. ज्यादा खर्च किया तो क्या होगा.
ये दिक्कत अकेले शिल्पी की नहीं है बल्कि उनके जैसे लाखों-करोड़ों लोगों की है, जो अपना घर छोड़ दूसरे शहर कमाने के लिए आते हैं. पिछले एक-डेढ़ साल में रेंट का ग्राफ तेजी से बढ़ा है. तेजी का ये रुख सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं है. बल्कि पूरे देश में कम, ज्यादा हर जगह किराया बढ़ा है. किराए पर ज्यादा खर्च कई मायने में नुकसानदायक है. इससे बचने के लिए ये पता होना जरूरी है कि सैलरी का कितना हिस्सा किराए पर खर्च कर सकते हैं. उससे पहले मकान का किराया कितना बढ़ा है ये देख लेते हैं.
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एनारॉक की हालिया रिपोर्ट बताती है कि साल 2023 के 9 महीनों यानी जनवरी-सितंबर के दौरान देश के 7 प्रमुख शहरों में मकान का किराया 30 फीसदी तक बढ़ा है. बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में किराए में सबसे ज्यादा उछाल दिखा. आईटी हब बेंगलुरु के व्हाइटफील्ड इलाके में सबसे ज्यादा 31 फीसद किराया बढ़ा. साल 2022 के आखिर में जिस 2BHK मकान का किराया 22,500 रुपए था. सितंबर 2023 में वो बढ़कर 29,400 रुपए महीना पहुंच गया. 9 महीने में किराया 6,900 रुपए बढ़ा.
इसी तरह, NCR में सोहना रोड पर 2BHK फ्लैट का रेंट साल 2022 के लास्ट में 28,500 रुपए था, जो सितंबर 2023 तक 11 फीसदी बढ़कर 31,500 रुपए हो गया. नोएडा सेक्टर 150 में फ्लैट का रेंट 13 पर्सेंट चढ़कर 19,000 से 21,500 रुपए जबकि द्वारका में किराया 14 फीसदी बढ़कर 22,000 रुपए से 25 हजार रुपए महीना पहुंच गया.
कोविड के बाद ऑफिस खुलने, प्रॉपर्टी के दाम बढ़ने, घरों की डिमांड और सप्लाई में मिसमैच और कोविड के दौरान मकान मालिक किराए बढ़ा नहीं सके. हालत सुधरते ही उन्होंने एकाएक रेंट बढ़ा दिए. इन वजहों से होम रेंट बेतरतीब तरह से बढ़े हैं. इस वजह से शिल्पी की तरह किराए का घर ढूंढने वालों को ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं. ऐसे में आपको ये पता होना जरूरी है कि आप जितना कमा रहे हैं उसमें से कितना पैसा मकान के किराए के लिए अलग रखना है.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि शिल्पी की मंथली सैलरी 60 हजार रुपए है तो उनका रेंट सैलरी के 30 फीसदी यानी 18 हजार रुपए से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इसमें घर का किराया, मेंटनेंस और बिजली-पानी का बिल भी शामिल है.
इस लेवल से ज्यादा किराया देने का मतलब है कि आप अपने दूसरे जरूरी खर्चों जैसे खाने-पीने में कटौती कर रहे हैं. ये भी हो सकता है कि आपके फाइनेंशियल गोल्स कॉम्प्रोमाइज हो रहे हों. ऐसा इसलिए क्योंकि आपकी सैलरी का ज्यादातर हिस्सा रेंट में चला जा रहा है और आप घर खरीदने, बच्चों की पढ़ाई और रिटायरमेंट जैसे फाइनेंशियल गोल्स को पूरा करने के लिए पर्याप्त इन्वेस्टमेंट नहीं कर पाएं. यानी ज्यादा रेंट आपकी फ्यूचर प्लानिंग को बिगाड़ सकता है. बेहतर है कि आप किराए को 30 फीसदी के अंदर ही रखें.
किराए का घर फाइनल करने से पहले आप ये तय करें कि आप किस लोकेशन में रहना चाहते हैं. वहां सिक्योरिटी कैसी है और आपके ऑफिस से घर की दूरी कितनी है? किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इन पहलुओं पर गौर जरूर करें. मान लीजिए आपको अपने बजट में अच्छी जगह पर ठीक-ठाक घर मिल जाता है. लेकिन यहां से आपका ऑफिस दूर है तो इस तरह का घर महंगा पड़ेगा. क्योंकि आने-जाने में खर्च बढ़ेगा, टाइम बर्बाद होगा वो अलग. ऐसे में ऑफिस के पास में भले थोड़ा महंगा और छोटा घर मिले वो बेहतर ऑप्शन है.
नौकरीपेशा लोगों की सैलरी में एक हिस्सा HRA यानी हाउस रेंट अलाउंस का होता है. आप जिस मकान में रह रहे हैं उसका किराया भर रहे हैं और कंपनी से HRA मिलता है तो कुछ शर्तों के साथ किराए पर टैक्स छूट ले सकते हैं, छूट का कैलकुलेशन तीन चीजों पर निर्भर है. HRA के रूप में मिलने वाली रकम, मेट्रो शहर में रहने पर बेसिक सैलरी 50 फीसदी या नॉन-मेट्रो सिटी में बेसिक सैलरी का 40 फीसदी और सालाना रेंट से बेसिक सैलरी का 10 फीसदी घटाने के बाद आने वाली रकम. तीनों में जो रकम कम होगी उस रकम पर टैक्स छूट मिलती है. ऐसे में HRA का कैलकुलेशन करके अपने रेंट को उसी के आसपास रखें… ताकि टैक्स छूट का ज्यादा से ज्यादा फायदा ले पाएं.
शिल्पी की तरह अगर आप भी किराए का घर ढूंढ रहे हैं तो 30 पर्सेंट फॉर्मूले को याद रखें. नई-नई नौकरी करने वाले ये सोचते हैं कि सैलरी का 40-50 फीसदी रेंट में चला भी गया तो क्या फर्क पड़ेगा. 50 फीसदी सैलरी तो बची है, काम चल जाएगा. अभी भले काम चल जाए लेकिन आगे दिक्कत होगी. किराया हर साल 10 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगा. हो सकता है आपकी सैलरी इस रफ्तार से न बढ़े. ऐसे में किराए का बोझ बढ़ेगा, ये आपके फाइनेंशियल गोल्स यानी फ्यूचर सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट को खराब कर सकता है. किराए का बोझ बढ़ने पर आप रूम मेट रख सकते हैं. दूसरा व्यक्ति आलीशान घर में किराए पर रहा हो. इसलिए आप भी वही करेंगे, इस होड़ में नहीं जाएं.