घर खरीदना जरूरत है लेकिन इन्वेस्टमेंट भी जरूरी है. इन्वेस्टमेंट के लिए इक्विटी से आगे बढ़कर अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन के लिए निवेशक गोल्ड शामिल कर लेते हैं. रियल एस्टेट की तरफ रुख करने वालों की संख्या अक्सर कम ही होती है. इसकी बड़ी वजह है ये सोच कि रियल एस्टेट या कमर्शियल प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट के लिए बहुत बड़ी रकम की जरूरत है. इसी सोच को गलत साबित करते हैं REITs – रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट.
ये ऐसी कंपनियां होती हैं जो कमर्शियल रियल एस्टेट में निवेश करते हैं जैसे शॉपिंग मॉल, ऑफिस स्पेस, रेंटल प्रॉपर्टी. जैसे म्यूचुअल फंड निवेशकों से पैसा जमा कर कैटेगरी के मुताबिक शेयरों, बॉन्ड्स, कमर्शियल पेपर में निवेश करते हैं वैसे ही REITs निवेशकों से पैसा पूल कर रियल एस्टेट में निवेश करते हैं. हालांकि इसमें प्रति निवेशक की ओर से कॉन्ट्रीब्यूशन किसी अन्य इक्विटी म्यूचुअल फंड से ज्यादा होता है. अक्सर REITs कमाई का ज्यादा हिस्सा यूनिट होल्डर्स को वापस कर देते हैं – डिविडेंड्स के जरिए कई बार ये कुल कमाई का 90 फीसदी हिस्सा हो सकता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
रियल एस्टेट इंडस्ट्री के दिग्गज और जेएलएल इंडिया (JLL India) के पूर्व CEO रमेश नायर के मुताबिक, “REITs लोगों के लिए निवेश का ऐसा जरिया है जो कई शहरों में फैले कमर्शियल एसेट्स के विसतृत पोर्टफोलियो में पोजिशन लेने का मौका देता है. पोर्टफोलियो मैनेजमेंट और नियंत्रण का भार अनुभवी प्रोफेशनल्स के हाथ में होता है जो यूनिट होल्डर्स के जोखिम का ख्याल रखते हैं.”
वे कहते हैं कि यूनिट होल्डर्स के लिए ये लिक्विड इन्वेस्टमेंट भी है. लिक्विड यानि ऐसे निवेश जिन्हें आप जरूरत पड़ने पर निकाल सकें. रमेश नायर कहते हैं कि यूनिट होल्डर्स एक क्लिक से भी एक्जिट ले पाते हैं.
किसी अन्य रियल एस्टेट में निवेश की तुलना में REITs इसलिए बेहतर हो जाते हैं क्योंकि प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट में लिक्विडिटी की कमी होती है. रमेश नायर कहा कहना है, “रियल एस्टेट में खरीदारी से एक्टिव मैनेजमेंट की जरूरत होती है और साथ ही ये ऐसेट इल-लिक्विड होते हैं. साथ ही किसी को एक एसेट में निवेश करने के लिए बड़े निवेश की जरूरत पड़ती है जिससे एक ही एसेट में जोखिम ज्यादा हो जाता है.
छोटे निवेशक कैसे करें निवेश?
रिटेल निवेशक REITs में निवेश के लिए म्यूचुअल फंड और ETF का रास्ता अपना सकते हैं. मार्केट रेगुलेटर SEBI की ओर से REITs के लिए रेगुलेशन साल 2014 में जारी किए थे. इसके बाद SEBI ने म्यूचुअल फंड्स को भी REITs कैटेगरी लॉन्च करने की अनुमति दे दी है. वहीं अन्य कैटेगरी की म्यूचुअल फंड स्कीमों को कुल ऐसेट वैल्यू का 10 फीसदी REITs और InvITs में निवेश करने की अनुमति है. InvITs हाइवे, एक्सप्रेसवे जैसे इंफ्रा प्रोजेक्ट में निवेश करते हैं.
पिछले साल दिसंबर में कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी ने खास REITs से जुड़ा फंड ऑफ फंड्स लॉन्च किया जिसका फोकस एशिया-पैसिफिक के रियल एस्टेट मार्केट पर है.
फिलहाल 10 फंड हाउस की 20 स्कीमों ने REITs और InvITs में निवेश किया है. इसमें ICICI प्रुडेंशियल म्यूचुअल फंड का निवेश सबसे ज्यादा है जिसके बाद आदित्य बिड़ला सनलाइफ म्यूचुअल फंड है. अक्सर जिन फंड्स का एक्सपोजर REITs या InvITs में हैं वो बैलेंस्ड एडवांटेज और हाइब्रिड कैटेगरी के फंड्स हैं – यानि ऐसे जिनका निवेश इक्विटी और डेट दोनों में है.
भारतीय शेयर बाजार में अब एंबेसी ऑफिस पार्क, माइंडस्पेस बिजनेस पार्क और ब्रुकफील्ड REITs लिस्टेड हैं. हाल ही में लिस्ट हुई ब्रुकफील्ड REIT को IPO के दौरान निवेशकों से जोरदार रिस्पॉन्स मिला था – इश्यू तकरीबन 8 गुना ज्यादा ओवरसब्सक्राइब हुआ था.
CBRE ने अपनी ताजा रिपोर्ट इंडिया रियल एस्टेट मार्केट आउटलुक 2021 में कहा है कि अगले 12 से 24 महीनों में नए ऑफिस-बेस्ड REITs लॉन्च होंगे. रिपोर्ट में CBRE ने कहा है कि REITs में डेट और इक्विटी मार्केट से मुकाबले कम लागत पर कैपिटल की सुविधा है और लिक्विडिटी भी ज्यादा है.
वहीं इस बार के बजट में REITs और InvITs में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री ने राहत के एलान किए थे. इन सबसे REITs को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.