भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो दर में बदलाव न करने और इसे पहले की तरह 6.5 प्रतिशत पर रखने से रियल एस्टेट सेक्टर को इसका फायदा मिल सकता है. जमीन-जायदाद के विकास से जुड़ी कंपनियों और विशेषज्ञों का कहना है कि ब्याज दरें न बढ़ने से लोगों पर महंगे ईएमआई का बोझ नहीं पड़ेगा. जिसकी वजह से लोग घर खरीदने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाएंगे. आगामी त्योहारों के दौरान मकानों की मांग बढ़ने की उम्मीद है. इससे रियल एस्टेट डेवलपर्स भी नई परियोजनाओं को लान्च करने पर विचार करेंगे.
रियल एस्टेट क्षेत्र के शीर्ष निकाय नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) के अध्यक्ष जी. हरि बाबू का कहना है कि आरबीआई के रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय रियल एस्टेट क्षेत्र को एक स्थिर माहौल देता है. ये होम लोन को अधिक किफायती बनाता है, इससे त्योहारों के दौरान घरों की मांग में इजाफा हो सकता है.
उन्होंने यह भी कहा कि यह स्थिरता डेवलपरों को भरोसे के साथ नई परियोजनाएं पेश करने के लिए भी प्रोत्साहित करेगी. आरबीआई का संतुलित दृष्टिकोण बाजार के विश्वास को बनाए रखने में मदद कर रहा है. यह वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच निवेशकों को आश्वस्त भी करेगा.
बाजार को होगा फायदा
रियल एस्टेट से जुड़ी सेवाएं देने वाली सीबीआरई के चेयरमैन एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया व अफ्रीका) अंशुमान मैगजीन ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक का लगातार नौवीं बार रेपो दर को बरकरार रखने का निर्णय मौद्रिक नीति के प्रति निरंतर सतर्क दृष्टिकोण को दर्शाता है. रेपो रेट को जस का तस रखने से रियल एस्टेट क्षेत्र में गति बनी रहने की संभावना है. इससे बाजार को फायदा होगा साथ ही ग्राहकों के बीच भरोसा भी बढ़ेगा.
दूसरे दिग्गजों ने भी फैसले को सराहा
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा कि महंगाई के दबाव को देखते हुए मौद्रिक नीति में की गई घोषणा उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप है. वहीं कोलियर्स इंडिया के वरिष्ठ निदेशक एवं अनुसंधान प्रमुख विमल नादर का कहना है कि ब्याज दर की स्थिरता के अलावा स्टाम्प ड्यूटी शुल्क को तर्कसंगत बनाने की घोषणा और महिला मकान खरीदारों के लिए रियायतें रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए अच्छी खबर हैं. इससे आगामी त्योहारों के दौरान मकान खरीदारों और डेवलपर दोनों को मदद मिलेगी.