अगर आप इस त्योहारी सीजन में अच्छी डील और डिस्काउंट के साथ मकान खरीदने की सोच रहे हैं, तो आपको डेवलपर्स के रुख से झटका लग सकता है. इस सीजन में जितनी तेजी से मकान बिके हैं, उसे देखते हुए रियल एस्टेट डेवलपर्स ग्राहकों को त्योहारी ऑफर देने से बच रहे हैं. इससे पहले आम तौर पर देखा गया है कि त्योहारी सीजन आते ही डेवलपर्स भारी भरकम डिस्काउंट के साथ कई लुभावने ऑफर्स पेश किया करते थे. डेवलपर्स के इन ऑफर्स में टीवी, एसी यूनिट, कार और यहां तक कि विदेशी यात्रा भी मिलती रही है.
क्रेडाई नेशनल के अध्यक्ष और गौर्स ग्रुप के सीएमडी मनोज गौड़ ने अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि जब अधिक आपूर्ति होती थी लेकिन मांग कमजोर होती थी तो बिल्डर्स प्रोत्साहन की पेशकश करते थे. पिछले 18 महीनों में, बिना बिकी अधिकांश इन्वेंट्री बेच दी गई है, जिस वजह से नई लॉन्च की गई परियोजनाओं की मांग बढ़ गई है.
उद्योग रिपोर्टों के अनुसार, 2023 में भारत में आवासीय बिक्री रिकॉर्ड ऊंचाई हासिल कर सकती है. ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि डेवलपर्स को साल के अंत तक 500,000 से अधिक आवास इकाइयां बेच सकते हैं. डेटा एनालिटिक्स फर्म प्रॉपइक्विटी डेटा के अनुसार, 2022 में शीर्ष सात शहरों में डेवलपर्स ने 464,849 इकाइयां बेचीं हैं. इस साल के पहले नौ महीनों में, वे पहले ही 372,961 इकाइयाँ बेच चुके हैं.
रियल एस्टेट पर सीआईआई दिल्ली उप-समिति के संयोजक हर्ष वी बंसल ने कहा, “खरीदार अब छूट के बजाय फ्लैट हासिल करने का आश्वासन चाहते हैं. डेवलपर्स को 800 फ्लैटों के लिए 4,000 चेक मिल रहे हैं, जो दर्शाता है कि मांग आपूर्ति से अधिक है.” नई संपत्ति लॉन्च का तांता लगने के बावजूद, उद्योग मांग में वृद्धि एक दशक में सबसे अधिक होगी.
आपूर्ति से अधिक बिक्री के साथ, बिना बिकी इन्वेंट्री की संख्या भी दशक के निचले स्तर पर पहुंच गई है. भारत के टियर-1 शहरों में बिना बिके आवास स्टॉक 2022 की तीसरी तिमाही में 526,497 इकाइयों से 11 फीसद गिरकर 2023 की तीसरी तिमाही में 508,464 इकाइयों पर आ गए. पहली तीन तिमाहियों के विश्लेषण से पता चलता है कि टियर-1 शहरों में नई संपत्ति की लॉन्चिंग 2022 के स्तर के अनुरूप बनी हुई है.
दो साल पहले, अधिकांश खरीदार रेडी-टू-मूव-इन फ्लैट्स की तलाश में थे लेकिन अब यह प्रवृत्ति उलट गई है. दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में, 2023 की दूसरी तिमाही की तुलना में 2023 की तीसरी तिमाही में बिना बिके स्टॉक में 7 फीसद की गिरावट आई, जबकि महामारी के बाद आवासीय संपत्ति की बिक्री में बढ़ोतरी जारी रही.