Property Deal: प्रॉपर्टी का सौदा किसी कारण रद्द हो जाए, तो चुकाया गया पैसा वापस लेने के लिए खरीदार को क्या करना चाहिए.
ये जानते है RERA ACT की धारा 18(1) के तहत, यदि प्रमोटर प्रोजेक्ट पूरा नहीं कर पाता या पजेशन में देरी करता है, तो खरीदार ऐसे प्रोजेक्ट से बाहर निकल सकता है और वह रिफंड के साथ ब्याज और कंपंसेशन पाने का भी हकदार है.
अगर खरीदार प्रोजेक्ट से जुड़ा रहना चाहे, तो उसे पजेशन में होने वाले हर महीने के विलंब का ब्याज मिलेगा.
यदि खरीदार बुकिंग करवाने के बाद प्रॉपर्टी डील रद्द करता है, तो कुछ बिल्डर बुकिंग अमाउंट का 10% काट लेते हैं और 90% रिफंड करते हैं.
बिल्डर या विक्रेता के साथ सौदा करते वक्त सेल एग्रीमेंट या प्रॉपर्टी अलॉटमेंट डॉक्यूमेंट जैसे कुछ दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए जाते हैं.
ऐसे डॉक्यूमेंट को अच्छे से पढें. क्योंकि उसमें कैंसेलेशन चार्जेज के बारे में लिखा होता है. यदि बिल्डर झूठा वादा करता है और आप सौदा रद्द करते हैं, तो रेरा एक्ट के तहत आपको एड्वांस पेमेंट की पूरी राशि वापस मिलेगी.
यदि खरीदार पेमेंट देने में बार-बार डिफॉल्ट होता है, तो बिल्डर सौदा रद्द कर सकता है, लेकिन सौदा रद्द करने से पहले खरीदार को तीन बार लीगल इंटिमेशन भेजना जरूरी है.
इसके बावजूद भी खरीदार कोई जवाब ना दे या पेमेंट ना चुकाए, तो बिल्डर कानूनी रूप से सौदे को अमान्य घोषित कर सकता है.
यदि दोनों पक्ष सहमत हैं, तो कैंसलेशन डॉक्यूमेंट पर हस्ताक्षर करना होगा. हालांकि, विवाद की स्थिति में खरीदार अदालत में बिल्डर को चुनौती दे सकता है और रेरा के पास शिकायत दर्ज कर सकता है.
यदि प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन हो चुका है और स्टैंप ड्यूटी एवं रजिस्ट्रेशन चार्जेज का भुगतान हो चुका है और बिल्डर निर्धारित तारीख तक पजेशन नहीं दे पाता तो घर-खऱीदार रजिस्ट्रेशन विभाग से स्टैंप ड्यूटी वापस ले सकता है.
स्टैंप ड्यूटी रिफंड की प्रक्रिया हर राज्य में अलग-अलग हो सकती है. खरीदार को इसके लिए रजिस्ट्रेशन विभाग में ऑरिजिनल सेल एग्रीमेंट और कैंसलेशन डीड की प्रति के साथ आवेदन जमा करना होगा.
कुछ राज्यों में स्टैंप ड्यूटी रिफंड के वक्त 2,000 रुपये तक चार्ज लिया जाता है या 1% स्टैंप ड्यूटी काट ली जाती है. कुछ परिस्थितियों में और बिल्डर की गलती हो तो रजिस्ट्रेशन होने के दो साल बाद भी खऱीदार को स्टैंप ड्यूटी रिफंड मिल सकता है.
यदि खरीदार सौदे से पीछे हट जाता है, तो विक्रेता को भुगतान की गई टोकन राशि को जब्त करने का अधिकार है.
टैक्स एक्सपर्ट CA मनीष कोटक बताते है, “जब्त हुई टोकन राशि के लिए खरीदार किसी तरह का कर लाभ नहीं मांग सकता, क्योंकि इसे कैपिटल लॉस माना जाएगा.
लेकिन जब्त की गई एडवांस राशि या अर्नेस्ट मनी को विक्रेता की इनकम गिनी जाएगी और इसे इनकम फ्रॉम अदर सोर्स के तहत टैक्सेबल गिनी जाएगी.”
-भुगतान नकद में ना करें, क्योंकि विक्रेता बाद में पैसे वापस करने से मना कर सकता है और आपके पास कोई कानूनी सबूत भी ना होने से आप अदालत में भी नहीं जा सकते हैं.
-खरीदारों को हमेशा लेन-देन के हर मोड़ पर सब कुछ लिखित रूप में प्राप्त करने पर जोर देना चाहिए.
– प्रॉपर्टी बेचने वाला ईमानदार है, ऐसा मान के केवल मौखिक प्रतिबद्धताओं पर निर्भर ना रहें, बल्कि दस्तावेजों के अनुसार चलें.
– अपने सर्वोत्तम हित के लिए सामने वाले पक्ष के साथ बैठकर प्रॉपर्टी सौदा रद्द ना हो उसके लिए चर्चा करें, क्योंकि केवल आपको ही नहीं बल्कि दूसरे पक्ष को भी निश्चित रूप से समय और धन की हानि होगी.