अब छोटे निवेशक बेफिक्र होकर खरीद सकेंगे प्रॉपर्टी

सेबी की कोशिश इन सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को माइक्रो, स्मॉल और मीडियम रीट्स के दायरे में लाने की है.

अब छोटे निवेशक बेफिक्र होकर खरीद सकेंगे प्रॉपर्टी

ऑनलाइन प्रॉपर्टी में निवेश कराने वाले प्लेटफॉर्म को नियमों में किस तरह बांधा जाए इसके लिए पूंजी बाजार नियामक सेबी ने एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया है. ये प्लेटफॉर्म्स प्रॉपर्टी की छोटी यूनिट्स में निवेश करने की सुविधा देते हैं. सेबी की कोशिश इन सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को माइक्रो, स्मॉल और मीडियम रीट्स के दायरे में लाने की है.

पहले इन प्लेटफॉर्म्स के जरिए निवेश करने पर 10 से 25 लाख रुपए तक का न्यूनतम राशि थी जब सेबी माइक्रो, स्मॉल और मीडियम रीट्स को अपने दायरे में लेकर आ रही है तो इनकी न्यूनतम निवेश राशि भी बाकी रीट्स की तरह 10,000 रुपए तक हो जाएगी. पहले रीट्स की रकम 10 से 25 लाख रुपए के बीच होती थी जिससे छोटे निवेशक प्रॉपर्टी में आनलाइन निवेश नहीं कर पाते थे. इसलिए सेबी छोटे रीट्स माइक्रो, स्मॉल, मीडियम (MSM) को आरईआईटीएस (रीट्स) के दायरे में लाना चाहता है जिससे निवेशकों को सुविधा मिल सके. इस प्रस्ताव का उद्देश्य निवेशकों को सही और पारदर्शी सूचना देना है.

जानिए क्या है REITS?

रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट उन निवेशकों से बने होते हैं जो रिटर्न देने वाली संपत्ति में एक साथ निवेश करते हैं. इसका दायरा शॉपिंग सेंटर, कॉन्फ्रेंस सेंटर, वेयरहाउस, प्राइम लोकेशन में ऑफिस स्पेस से लेकर आवासीय संपत्ति तक हो सकता है. इसमें निवेश की सीमा कम से कम 10,000 रुपए है. इनके निवेश को कोई एक मैनेजर या कंपनी के द्वारा प्रबंधित किया जाता है. इस तरह से स्पेशल पर्पज व्हीलक (एसपीवी) की तरफ से जारी शेयरों में निवेश कर निवेशक अचल संपत्ति के एक छोटे से हिस्से का मालिकाना हक प्राप्त कर सकते हैं. इसमें रिटर्न का भुगतान डिविडेंड्स के रूप में किया जाता है.

MSM REITS में क्या है खास

सेबी की तरफ से इसे एक ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत करने का प्रस्ताव किया गया है जिसका एक अपना प्रायोजक यानी स्पॉन्सर, ट्रस्टी और निवेश प्रबंधक होना चाहिए. इसमें स्पॉन्सर की न्यूनतम नेटवर्थ 10 करोड़ रुपए होनी चाहिए जबकि इन्वेस्टमेंट मैनेजर की नेटवर्थ कम से कम 20 करोड़ रुपए होनी चाहिए. सेबी ने यह प्रस्ताव इसलिए दिया है क्योंकि वर्तमान में इन प्लेटफॉर्म के सभी परिचालन क्षेत्र सेबी के अधीन नहीं हैं जिससे निवेशकों को इससे संबंधित नियमों की स्पष्ट जानकारी, किसी तरह की कानूनी कार्रवाई और लिक्विडेशन में समस्या आती है.

Published - May 17, 2023, 03:56 IST