महाराष्ट्र की कई हाउसिंग सोसायटियों को भारी टैक्स के नोटिस मिल रहे हैं. इनमे से कइयों को 1 लाख से लेकर 2 लाख रुपये तक के टैक्स का नोटिस आया है. दरअसल ये वो नॉन-एग्री टैक्स (Non Agri Tax) है जो पिछले 15 साल से नहीं वसूला गया. साल 2006 में इस टैक्स पर स्टे लगा दिया गया था और तब से इसे नहीं वसूला गया था. इसी के तहत पुणे में तकरीबन 18,000 को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटियों को ऐसे नोटिस मिल चुके हैं, वहीं मुंबई के सब-अर्बन इलाकों की सोसायटियों को भी जल्द ऐसे और नोटिस जारी होने की संभावना है.
क्या है नॉन-एग्री टैक्स?
जमीन का कृषि के अतिरिक्त किसी अन्य काम के लिए इस्तेमाल पर रेवेन्यू अफसर नॉन-एग्रीकल्चर टैक्स (Non Agri Tax) वसूलते हैं. डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर द्वारा इश्यू किए इस टैक्स को सालाना आधार पर भरना होता है. महाराष्ट्र लैंड रेवेन्यू कोड, 1966 के तहत नॉन-एग्रीकल्चर टैक्स लगता है. ये टैक्स प्रॉपर्टी टैक्स के अतिरिक्त दिया जाता है. क्योंकि मुंबई की अधिक्तर जमीनें लीज़ पर हैं और कृषि की नहीं हैं. लेकिन मुंबई के सब-अर्बन इलाके इसके दायरे में आते हैं.
साल 2006 में रेडी रेकनर की समीक्षा के बाद इसमें 1500 फीसदी तक की बढ़ेतरी आई थी जिसके बाद लोगों के कड़े विरोध से इपर स्टे लगा दिया गया था.
साल 2018 में सरकार ने स्टे हटा दिया था लेकिन रेडी रेकनर पर 3 फीसदी की बजाय 0.05 फीसदी का नॉन-एग्री टैक्स (Non Agri Tax) लगाने का फैसला लिया था जिसे हर 5 साल पर रिव्यू किया जाता. हालांकि इसके बावजूद इस टैक्स की वसूली नहीं की गई थी.
अब चर्चा में क्यों?
हाल ही में राज्य के रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने नॉन-एग्री टैक्स (Non Agri Tax) के नोटिस भेजने शुरू कर दिए हैं. रेवेन्यू विभाग साल 2006 के रेडी रेकनर रेट पर ही नॉन-एग्री टैक्स के नोटिस जारी कर रहे हैं. 15 साल की वसूली की वजह से सोसायटियों पर 1 से 2 लाख रुपये तक की टैक्स देनदारी बन रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी कई और सोसायटियों को ये नोटिस जा सकते हैं.
इस टैक्स के तहत सभी सरकारी जमीनें और BMC की जमीने आती हैं हालांकि ग्रामीण इलाकों की जमीनों पर बने घरों पर ये टैक्स नहीं लगता है.