घर खरीदारों के हितों को ध्यान में रखते हुए नोएडा प्राधिकरण एक अहम निर्णय लेने जा रहा है. प्राधिकरण अब हर बिल्डर प्रोजेक्ट का एस्क्रो अकाउंट खुलवाएगा. इसके बाद बिल्डर खरीदरों से लिए गए बुकिंग अमाउंट में गड़बड़ नहीं कर पाएंगे. इसके साथ ही अनुपात के तहत प्राधिकरण को बकाया मिल पाएगा. प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि अकाउंट खोले जाने की शुरुआत इसी महीने से हो जाएगी और इसके लिए एक एजेंसी का चुनाव किया जाएगा.
क्या होता है एस्क्रो अकाउंट
रेरा अधिनियम के तहत किसी आवासीय प्रोजेक्ट के लिए घर खरीदारों से जो अग्रिम राशि ली जाती है उसका 70 फीसदी हिस्सा एस्क्रो खाते में जमा करना होता है. 30 फीसदी पैसा ही बिल्डर को दिया जाता है ताकि वह अपना प्रोजेक्ट शुरू करे. फिर जैसे-जैसे काम आगे बढ़ता है खाते से धीरे धीरे पैसा बिल्डर को जारी होता रहता है. ऐसा इसलिए किया जाता है कि घर खरीदार का पैसा बिल्डर किसी और काम में या प्रोजेक्ट में इस्तेमाल न कर सके. ऐसी गतिविधियों की जांच के लिए RERA में सख्त प्रावधान किए गए हैं. बिल्डर के खाते को हर छह महीने में एक चार्टर्ड अकाउंटेंट से ऑडिट भी कराना होता है ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि पैसे का इस्तेमाल उसी प्रोजेक्ट में हो रहा है जिसके लिए इसे जारी किया गया है. एस्क्रो खाता खुलने से लेन-देन में घोटालों और धोखाधड़ी की संभावना कम होती है.
कुछ साल पहले भी लॉजिक्स बिल्डर के चार ग्रुप हाउसिंग और वेब ग्रुप एक कमर्शियल प्रोजेक्ट के एस्क्रो खाते खोले गए थे. इन खातों से जुड़ी जानकारी जब नोएडा प्राधिकरण ने बिल्डर्स से मांगी तो उन्होंने दी ही नहीं और इन खातों का कोई मतलब नहीं निकला. बता दें नोएडा में ग्रुप हाउसिंग से जुड़े क़रीब 115 प्रोजेक्ट, क़रीब 79 स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट हैं. इनमें बिल्डर खरीदारों से पैसे तो ले रहे हैं लेकिन प्राधिकरण का बकाया नहीं चुका रहे हैं. नोएडा विकास प्राधिकरण के बिल्डरों पर 35 हज़ार करोड़ बकाया है और इसलिए अब सभी बिल्डर्स के एस्क्रो खाते खुलवाने का निर्णय लिया गया है.