प्रॉपर्टी खरीदते वक्त लोगों को हमेशा सावधान रहने की सलाह दी जाती है ताकि वे धोखाधड़ी का शिकार होने से बच सकें. मुंबई में एक अजीब मामला सामने आया है. यहां कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) से गुजर रही रियल एस्टेट कंपनी रश्मि हाउसिंग के प्रमोटरों ने कंपनी के प्रोजेक्ट्स में से 82 फ्लैट बेच दिए, जो इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कानून का उल्लंघन है. मामला खुलने पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने सख्त कदम उठाया है.
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, NCLT ने 82 फ्लैटों की बिक्री को रद्द कर दिया है और कंपनी के हर प्रमोटर पर तीन लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. फाइनेंस एडवाइजर्स एंड मैनेजर्स और विस्टा आईटीसीएल (पूर्व में IL&FS ट्रस्ट कंपनी) ने भुगतान में चूक पर डेवलपर रश्मि हाउसिंग को NCLT में घसीटा था. ट्रिब्यूनल ने कंपनी को दिवालिया घोषित किया था. साल 2018 में कंपनी के निदेशकों को हटाते हुए ओपी अग्रवाल को अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) नियुक्त किया गया था.
फरवरी 2019 में कंपनी के एक कर्मचारी ने समाधान पेशेवर को ई-मेल भेजकर दिवाला प्रक्रिया (CIRP) शुरू होने से पहले के सेल एग्रीमेंट पर निलंबित निदेशकों को हस्ताक्षर करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था. समाधान पेशेवर ने इसके जवाब में कहा कि अनुमति के लिए इसे कर्जदाताओं की समिति (COC) के सामने रखना होगा. समाधान पेशेवर की ओर से पेश वकील ने दलील में कहा कि इस तरह की कोई भी अनुमति नहीं दी गई थी. रश्मि हाउसिंग का मामला लिक्विडेशन के लिए अब भी पेंडिंग है.
कर्मचारियों की मिलीभगत से हुआ खेल?
कंपनी को चालू रखने के लिए समाधान पेशवर ने रोजमर्रा के कामकाज में शामिल कुछ कर्मचारियों को कंपनी में बनाए रखा था. इन कर्मचारियों को बताया गया था कि उन्हें सिर्फ समाधान पेशेवर के निर्देश पर काम करना है न कि निलंबित निदेशकों के निर्देश पर. इन कर्मचारियों को बिना बिके फ्लैट की जानकारी थी. समाधान पेशेवर के लिए अलग-अलग हिस्सों में मौजूद 17 प्रोजेक्ट में 393 बिना बिके फ्लैटों को फिजिकल रूप से संभालना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं था.
महाराष्ट्र में कितने प्रोजेक्ट NCLT में?
महाराष्ट्र रेरा की ओर से जुटाए गए डेटा के मुताबिक, राज्य में 300 से ज्यादा हाउसिंग प्रोजेक्ट दिवाला प्रक्रिया से गुजर रहे हैं. इनमें से तीन-चौथाई प्रोजेक्ट मुंबई और उसके आसपास में हैं. रेरा ने अपनी वेबसाइट पर इन प्रोजेक्ट की जानकारी डाली है ताकि घर खरीदार धोखा खाने से बच सकें.
घर खरीदारों को सलाह
घर खरीदने से पहले लोगों को पूरी जांच-पड़ताल कर लेनी चाहिए ताकि उनकी मेहनत की कमाई डूबे नहीं. फ्लैट के मामले में प्रोजेक्ट का रेरा रजिस्ट्रेशन, बिल्डर का पुराना ट्रैक रिकॉर्ड, डिलिवरी स्टेटस चेक करें. प्रोजेक्ट का नक्शा, अथॉरिटी से NoC, कम्प्लीशन सर्टिफिकेट चेक करें. मकान या प्लॉट के मामले में टाइटल डीड यानी रजिस्ट्री चेक करें. प्रॉपर्टी पर किसी तरह का लोन या कानूनी मुकदमे की भी जांच कराएं.