बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने कारोबारी प्रक्रिया सरल बनाने और लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए रीट्स (REITs) और इनविट्स (InvITs) की होल्डिंग कंपनियों व विशेष उद्देश्यीय इकाइयों (SPV) की प्रतिभूतियों को सिर्फ डीमैट खातों (Demat Accounts) में ही रखने को कहा है. यह कवायद ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए की जा रही है. इसका मतलब है कि किसी भी देश में कारोबार कितनी आसानी से शुरू किया जा सकता है. सेबी ने इसके लिए दो सर्कुलर जारी किए हैं. इससे रीट्स और इनिवट्स में निवेश सुरक्षित और आकर्षक हो जाएगा.
जारी किया सर्कुलर सेबी की तरफ से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि REITs (रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट) और InvITs (इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट) के निवेश प्रबंधकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि रीट्स ओर इनविट्स की होल्डिंग कंपनियों और विशेष उद्देश्यीय इकाइयों के भौतिक रूप में रखी मौजूदा प्रतिभूतियों को 30 जून तक डीमैट (डिमैटेरियलाइज्ड) यानी इलेक्ट्रॉनिक रूप में ही रखें. नियमों के तहत, REITs और InvITs की यूनिट्स सभी आवेदकों को केवल डीमैट फॉर्म में ही जारी की जाएंगी.
क्या हैं रीट इनविट? रीट ऐसी स्कीमें हैं जो कई निवेशकों से पैसा जुटाकर उसे रियल एस्टेट में निवेश करती हैं. यह रेगुलर इनकम का अच्छा विकल्प है. इसकी 80 फीसदी रकम को इनकम जेनरेट करने वाली प्रॉपर्टियों में निवेश किया जाता है. इनविट भी रीट जैसी स्कीमें हैं लेकिन इसमें निवेश इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टों जैसे- सड़क, पुल, पावर ग्रिड इत्यादि में किया जाता है.
भारत में बढ़ रहा प्रचलन रीट और इनविट निवेश के माध्यम हैं जो अभी भारत में ज्यादा प्रचलित नहीं हैं. लेकिन वैश्विक बाजारों में इसका बहुत क्रेज है. हालांकि भारत में भी इसे आसान और सुचारु बनाया जा रहा है. इसके नियम में कई बदलाव किए जा रहे हैं, ताकि लोगों में इसका प्रचलन बढ़े. रीट्स (Reits) और इनविट्स (InvITs) इंडेक्स के शीर्ष घटकों में एम्बेसी ऑफिस पार्क्स रीट, पावरग्रिड इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट, माइंडस्पेस बिज़नेस पार्क्स रीट और इंडिया ग्रिड ट्रस्ट आदि हैं. रीट में कमर्शियल रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स होते हैं, जबकि इनविट (InvITs) में हाईवे और पावर ट्रांसमिशन जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर एसेट्स होते हैं.
एसपीवी क्या है? एसपीवी एक ऐसी इकाई है जो मुख्य रूप से प्रॉपर्टी के अधिग्रहण और प्रबंधन के लिए बनाई गई है. एक एसपीवी के लिए रीट्स और इनविट्स की न्यूनतम हिस्सेदारी 50% हिस्सेदारी होती है.
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