रवि अपना पुराना घर किराए पर उठाने की सोच रहे थे. अचानक रेजिडेंट वेलफेयर एसोशिएशन (RWA) का फरमान आया. कोई भी मकान मालिक बैचलर को किराए पर घर नहीं दे सकता है. रवि का किराएदार बैचलर है. उससे वो एडवांस और सिक्योरिटी मनी ले चुके हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि इस तरह का फरमान कैसे दिया जा सकता है? इस फरमान के खिलाफ उनके पास क्या रास्ते हैं. आइए जानते हैं.
किसी अपार्टमेंट या सोसायटी के घर मालिकों के समूह को अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन यानी AOA कहते हैं. एसोसिएशन अपना नाम रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन यानी RWA भी रखती हैं. सोसायटी में बिजली-पानी, सड़कें, पार्क, क्लब हाउस से लेकर स्ट्रीट लाइट की देखरेख और मरम्मत के अलावा सिक्योरिटी का जिम्मा RWA या AOA के पास होता है. इन कामों के लिए मेंटेनेंस चार्ज लिया जाता है. यह चार्ज घर के साइज के हिसाब से लिया जाता है.
RWA या AOA की गवर्निंग बॉडी के गठन के लिए सोसायटी के सभी घर मालिक वोट करते हैं. इसमें अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष समेत कार्यकारी सदस्यों का चयन होता है. RWA या AoA का रजिस्ट्रेशन सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत होता है. RWA के सदस्य होने के लिए आपको मेंबरशिप नहीं लेनी होती. सोसायटी में घर खरीदने के बाद आप RWA के मेंबर हो जाते हैं.
RWA में रेजिडेंट यानी सदस्य के रूप में आपके क्या अधिकार हैं? अब उसकी बात करते हैं. सदस्य के रूप में आपके पास पहला अधिकार ये है कि आप RWA से मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और Bye-laws यानी उप-नियमों की कॉपी मांगें. जिससे आपको पता लगेगा कि RWA के पास क्या-क्या शक्तियां हैं, वो कौन-कौन से काम करेगी और उसने क्या नियम-कायदे बना रखे हैं.
RWA के खिलाफ अक्सर मनमाने ढंग से मेंटेनेंस और दूसरे गैर-जरूरी चार्ज वसूलने, बगैर चुनाव के मौजूदा बॉडी के काम करने और वित्तीय गड़बड़ी के आरोप लगते हैं. अगर आपको लगता है कि RWA ने आपके साथ कोई ज्यादती की है तो सबसे पहले RWA के अध्यक्ष और सचिव को लिखित शिकायत दें, हो सकता है यहीं आपको समाधान मिल जाए.
अगर आपको धमकाया या प्रताड़ित किया जा रहा है तो पुलिस में शिकायत कर सकते हैं. अगर पुलिस सुनवाई नहीं करती है तो मजिस्ट्रेट से शिकायत कर सकते हैं…
वहीं, नागरिक अधिकारों यानी Civil Rights का हनन होने पर रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटी में RWA के खिलाफ शिकायत की जा सकती है. रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटी RWA को गैर-कानूनी कदम उठाने से रोक सकता है. RWA की गवर्निंग बॉडी को सस्पेंड कर सकता है.. इसके अलावा, सिविल कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं. कोर्ट RWA के आदेश पर रोक के साथ मुआवजे का आदेश दे सकता है.
कई बार RWA या AOA तुगलकी फरमान सुनाते हैं जैसे मकान मालिक अपने घर या फ्लैट को बैचलर को, किसी जाति या धर्म विशेष के लोगों को किराए पर नहीं दे सकता है. RWA को कोई कानूनी अधिकार नहीं है कि वह किसी घर मालिक को बताए कि उसे किसे किराएदार रखना है और किसे नहीं. डीएम यानी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट या कोर्ट में शिकायत करके ऐसे मामलों में आदेश को रद्द कराया जा सकता है.
कई जगहों पर बिजली और पानी का बिल मेंटेनेंस के साथ जोड़ दिया जाता है. अगर रेजिडेंट मेंटेनेंस चार्ज नहीं भरता है तो बिजली-पानी बंद करने की धमकी दी जाती है. मेंटनेंस चार्ज नहीं देने पर बिजली-पानी नहीं रोका जा सकता है. मेंटनेंस सर्विस जरूर बंद की जा सकती है. यही नहीं, बिजली-पानी का बिल नहीं भरने पर भी बिना नोटिस दिए कनेक्शन काटना नेचुरल जस्टिस के खिलाफ है. कई बार घर बेचने पर AOA या RWA विक्रेता यानी सेलर से ट्रांसफर फीस मांगते हैं. क्या ये चार्ज देना जरूरी है? आइए जानते हैं इस पर एक्सपर्ट की राय.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड प्रशांत कान्हा बताते हैं कि यूपी अपार्टमेंट एक्ट के अनुसार अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन प्रॉपर्टी बेचने पर ट्रांसफर फीस के रूप में 0.50 फीसदी चार्ज ले सकती हैं. इसके लिए एसोसिएशन का मॉडल बाय-लॉ (Model Bye-laws) अपनाना जरूरी है. इन पैसों का इस्तेमाल भविष्य में सोसायटी के मेजर रिपेयर में किया जाता है. कोई भी रेजिडेंट ट्रांसफर चार्ज के कलेक्शन और खर्च की डिटेल मांग सकता है.