भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से रेपो दर को लगातार तीसरी बार 6.5 फीसद पर स्थिर रखने के फैसले का रियल एस्टेट सेक्टर ने स्वागत किया है. दरअसल, आने वाले दिनों में त्यौहारों का सीजन शुरू होने वाला है. ऐसे में डेवलपर्स का मानना है कि खरीद और किराये के लिए मकानों की मांग बढ़ेगी. साथ ही नए मकानों की बिकने की संभावना भी ज्यादा है.
NAREDCO के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी का कहना है कि आगामी त्यौहारी सीजन की वजह से देश में रहने वाले और एनआरआई की मांग में इजाफा देखने को मिल सकता है. इससे खरीद और किराये के लिए मकानों की मांग बढ़ेगी. उन्होंने यह भी कहा कि पर्याप्त नकदी होने, मार्केट कंसॉलिडेशन, वैकल्पिक फंडिंग के रास्ते और जल्द कर्ज चुकाने की होड़ के चलते कॉर्पोरेट बैलेंस शीट में सुधार हो रहा है.
क्रेडाई नेशनल के अध्यक्ष बोमन ईरानी का कहना है कि अगर अगली समीक्षा नीति में रेपो दर में कटौती की घोषणा की जाती है तो ये उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद होगा. दर में कटौती से त्योहारी सीजन में उपभोक्ता खर्च ज्यादा करेंगे और विभिन्न क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी. मौजूदा समय में हाउसिंग लोन एक साल पहले के 6.6 फीसद के निचले स्तर से बढ़कर करीब 9 फीसद हो गई है.
रियल एस्टेट सलाहकार सीबीआरई के चेयरमैन एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अंशुमान मैगजीन ने कहा कि हम रेपो दर में बदलाव न करने के आरबीआई के फैसले का स्वागत करते हैं. पिछले साल लगातार दरों में बढ़ोतरी के बाद से उच्च ब्याज दर को देखते हुए इस कदम से आवास क्षेत्र को राहत मिलने की उम्मीद है. यह आर्थिक वृद्धि को गति देने के साथ ही मुद्रास्फीति पर काबू करने में मदद करेगा.
नारेडको के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजन बन्देलकर ने कहा कि आरबीआई का रेपो दर पर यथास्थिति का निर्णय रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण कदम है. ब्याज दर में स्थिरता से उन डेवलपर्स को राहत मिलेगी जो एक जटिल आर्थिक परिदृश्य से गुजर रहे हैं. उन्होंने कहा कि दर में बदलाव न होने से दीर्घकालिक परियोजनाओं पर काम करने और उन्हें क्रियान्वित करने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही यह निर्णय क्षेत्र में स्थिरता लाने की आवश्यकता से भी मेल भी खाता है. इससे सकारात्मक माहौल को बढ़ावा मिलेगा. बन्देलकर ने कहा कि हालांकि, हमें उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक उभरते बाजार की गतिशीलता के प्रति सचेत रहेगा और विकासोन्मुख उपायों का समर्थन करना जारी रखेगा.