हिमांशु ने करीब पांच साल पहले फ्लैट बुक किया था. उनके दोस्त अमित को भी घर खऱीदना है. अमित पूछते हैं कि डील करने से पहले क्या चेक करूं? हिमांशु सलाह देते हैं कि बिल्डर का प्रोजेक्ट जरूर देखें नहीं तो उनकी तरह फंस जाएंगे. मुझे अभी तक पजेशन नहीं मिला है. हिमांशु की तरह क्या आप भी घर खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो ये खबर आपसे जुड़ी है. महा रेरा यानी महाराष्ट्र रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी, रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स की रेटिंग की तैयारी कर रही है जिससे घर खरीदारों को सही प्रोजेक्ट चुनने में मदद मिलेगी. टाइम पर घर की डिलिवरी नहीं मिलना होम बायर्स की सबसे बड़ी दिक्कतों में से एक है. प्रॉपर्टी बाजार में तेजी के बावजूद देश में लाखों लोग अपने ड्रीम होम से महरूम हैं..
कहां कितना मकान अटके?
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एनारॉक के मुताबिक, मई 2022 के अंत तक सात बड़े शहरों में करीब 4 .80 लाख मकान कंस्ट्रक्शन के अलग-अलग चरणों में फंसे हुए हैं जिनकी कीमत 4.48 लाख करोड़ रुपए है. ये मकान 2014 में या उससे पहले लॉन्च हुए थे. फंसे घरों की संख्या में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी NCR और मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) की सबसे ज्यादा 77 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि दक्षिणी मेट्रो शहरों बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद की हिस्सेदारी महज 9 फीसद है. इसमें पुणे की हिस्सेदारी करीब 9 फीसदी जबकि कोलकाता का हिस्सा 5 फीसद है. शहरों के लिहाज से NCR में 2.40 लाख , मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) में 1.28 लाख, पुणे में 44 250, बेंगलुरु में 26030 घर, कोलकाता में 23540, हैदराबाद में 11450 और चेन्नई में 5,190 मकानों में निर्माण का काम ठप पड़ा है या देरी से चल रहा है.
क्या है योजना?
घर खरीदार अपनी जीवन भर की पूंजी का बड़ा हिस्सा घर खरीदने में लगाता है. ऐसे में उनको इससे जुड़े जोखिम की जानकारी होना चाहिए. महाराष्ट्र रेरा के मुताबिक, रियल एस्टेट प्रोजेक्ट की ग्रेडिंग से घर खरीदारों को यह जानने में मदद मिलेगी कि किस प्रोजेक्ट में निवेश करें और किनसे दूर रहना चाहिए. ग्रेडिंग व्यवस्था जनवरी 2023 के बाद रजिस्टर रियल एस्टेट प्रोजेक्ट पर लागू होगी. साल में दो बार रेंटिग की जाएगी. पहली ग्रेडिंग लिस्ट अप्रैल 2024 में उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है.
कैसे की जाएगी ग्रेडिंग?
रियल एस्टेट प्रोजेक्ट की ग्रेडिंग या रेटिंग चार चीजों के आधार पर होगी… 1)- प्रोजेक्ट डिटेल, 2)- टेक्नीकल डिटेल, 3)- फाइनेंशियल डिटेल और 4)- लीगल डिटेल.. प्रोजेक्ट डिटेल में लोकेशन, डेवलपर, एमिनिटी और दूसरी जरूरी जानकारियां होंगी… टेक्नीकल डिटेल में कमेंसमेंट सर्टिफिकेट (CC) जैसी मंजूरियां, तिमाही और सालाना कम्प्लायंस रिपोर्ट, बुकिंग पर्सेंटेज की डिटेल होगी… इसी तरह, फाइनेंशियल डिटेल में प्रोजेक्ट की फाइनेंशियल प्रोग्रेस, कर्ज, एनुअल ऑडिट सर्टिफिकेट जबकि लीगल डिटेल में प्रोजेक्ट के खिलाफ मुकदमेबाजी, शिकायत, वारंट जैसी जानकारी होगी.
रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के प्रमोटर इन जानकारियों को रेरा को उपलब्ध कराएंगे जिनके आधार पर ग्रेडिंग की जाएगी. प्रोजेक्ट की रेटिंग के बाद प्रमोटरों की ग्रेडिंग होगी.
ज्यादातर हाउसिंग प्रोजेक्ट में काम अटकने की मुख्य वजह फाइनेंशियल क्राइसिस है. बिल्डर बुकिंग के समय घर खरीदारों से बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन बाद में डिफॉल्ट कर जाते हैं और दिवालिया हो जाते हैं. यहां भी घर खरीदारों को लंबा इंतजार करना पड़ता है क्योंकि इन्सॉल्वेंसी अदालतों (NCLT) में रियल एस्टेट मामलों में समाधान की रफ्तार सुस्त है.
ग्रांट थॉर्टन भारत (Grant Thornton Bharat) की एक स्टडी बताती है कि इन्सॉलवेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत कॉरपोरेट इन्सॉल्वेंसी समाधान के लिए 2,298 मामले आए, जिनमें से 518 मामले रियल एस्टेट से जुड़े हैं. हैरानी की बात ये है कि अप्रूव किए गए 611 समाधान योजना में सिर्फ 78 रियल एस्टेट से हैं.
कम होगा जोखिम
महाराष्ट्र रेरा की अच्छी ग्रेडिंग का मतलब है कि प्रोजेक्ट में निवेश करने पर पैसा फंसने का जोखिम कम है… जिन प्रोजेक्ट में काम ठीक नहीं चल रहा है. फंड की दिक्कत है या फिर डिफॉल्ट होने की आशंका है उनकी ग्रेडिंग कम होगी. ऐसे प्रोजेक्ट से आपको बचना है. महा रेरा ने कंसल्टेशन पेपर पर सुझाव मागें हैं. ऐसे में इस प्रस्ताव को बेहतर बनाने के लिए बदलाव किए जा सकते हैं.
अमित जैसे होम बायर्स के लिए ये जान लेना जरूरी है कि ग्रेडिंग इस बात की गारंटी नहीं है कि प्रोजेक्ट के साथ कोई दिक्कत नहीं होगी… होम बायर को अपने लेवल पर भी जांच-पड़ताल करनी चाहिए… जैसे घर खरीदने से पहले टाइटल से जुड़े दस्तावेज चेक करें… फ्लैट के मामले में बिल्डिंग प्लान, ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट, पजेशन जैसी चीजें चेक करें. घर खरीदने से पहले खुद जाकर प्रोजेक्ट को देखें… बिल्डर के पुराने प्रोजेक्ट का रिकॉर्ड और रेरा रजिस्ट्रेशन देखें.