Home Buyers: कोरोना की रोकथाम के लिए लगे देशव्यापी लॉकडाउन में वर्क फ्रॉम होम का कल्चर बढ़ा और सभी ने घर की अहमियत को समझा. शायद इस संकट के बीच सीख लेकर सबसे तेज एक्शन मीलिनियल यानि युवाओं ने लिया. सर्वे के मुताबिक कोविड वाले साल में रियल एस्टेट को बतौर एसेट क्लास चुनने वालों में से 48 फीसदी मिलिनियल्स ही थे.
कॉन्फिडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (CII) के साथ एनारॉक (ANAROCK) के कोविड-19 सेंटिमेंट सर्वे की माने तो मिलिनियल्स ही रियल एस्टेट निवेश में अब आगे हैं. 25 से 35 साल से बीच के उम्र के लोगों में रियल एस्टेट के प्रति रुझान बढ़ा है. कोविड-19 से पहले रियल एस्टेट में निवेश वाले सिर्फ 17 फीसदी ही युवा थे.
कोरोना संकट से रियल एस्टेट मार्केट में काफी आकर्षक ऑफर्स आए, होम लोन की दरें भी घटीं हैं. CII-ANAROCK सर्वे के 24 फीसदी लोगों (Home Buyers) ने इन्हीं डील्स का फायदा उठाते हुए घर बुक करा लिया है.
प्रॉपर्टी लेने के लिए सही समय?
डाटा एनालिटिक्स कंपनी लाएसेस फोरस (Liases Foras) के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज कपूर का कहना है कि 10-15 साल बाद कोरोना संकट की वजह से अब रियल्टी ‘सेलर्स मार्केट’ की बजाय एक ‘बायर्स मार्केट’ हो गया है यानि अब खरीदारों के लिए ढेरों आकर्षक ऑफर दिए जा रहे हैं. जबकि पहले डेवलेपर्स इन्वेंट्री रोक कर रखा करते थे. वहीं कई राज्यों ने स्टैंप ड्यूटी में कटौती की है. क्योंकि अब बिल्डर्स अच्छे ऑफर्स दे रहे हैं तो जो ग्राहक (Home Buyers) इंतजार कर रहे थे उन्हें अब घर खरीदने का सही मौका मिल गया है. वहीं होम लोन पर ब्याज दरें भी काफी कम हुई हैं.
अफोर्डेबल घरों की डिमांड बढ़ी
40 फीसदी लोग अफोर्डेबल प्रॉपर्टी यानि वो प्रॉपर्टी जिनकी कीमत 45 लाख से कम है खरीदना चाहते हैं जो कोविड से पहले के मुकाबले में 9 फीसदी ज्यादा है. दिल्ली-NCR में ये डिमांड सबसे ज्यादा है जिसके बाद कोलकाता है.
वहीं कोरोना संकट में घर के साइज को लेकर भी लोग जागरुक हुए और जरूरत भी बढ़ी है. 69 फीसदी लोग कोरोना के लॉकडाउन के बाद 2BHK लेना चाहते हैं जबकि कोविड से पहले सिर्फ 38 फीसदी ही ऐसे साइज के घर लेने की तैयारी में थे.
वहीं 90 लाख से 2.5 करोड़ रुपये तक की कीमत वाले लग्जरी घरों के लिए NRIs में डिमांड बढ़ी है.