एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले 35 वर्षीय भाविन ओझा दिसंबर 2020 में बुक किए गए फ्लैट का पजेशन मिलने के इंतजार में हैं. उनके बिल्डर ने मई से पहले पजेशन का वादा किया था मगर लॉकडाउन के कारण दीवाली तक पजेशन मिलने के आसार नहीं हैं. भाविन जैसे कई फर्स्ट-टाइम होम-बायर्स केऊउपर अब रेंट और EMI का डबल बोझ है, साथ में टैक्स से मिलने वाली राहत भी अधर में लटक गई है.
होम–बायर्स के लिए आगे कुआं पीछे खाई
भाविन ने 65 लाख रुपये का घर बुक कराया था जिसके लिए 40 लाख रुपये का होम लिया था. 7.10 फीसदी ब्याज दर के हिसाब से वह अभी 30,000 रुपये की EMI चुका रहे हैं. पजेशन मिलने के बाद उनकी EMI 36,118 रुपये हो जाएगी.
भाविन की टेक होम सैलरी 80,000 रुपये है, जिसमें से 14,000 घर का किराया, बिजली बिल और मेंटेनेंस में चला जाता है. घर खर्च 24,500 रुपये है.
भाविन का हिसाब था कि अप्रैल में पजेशन लेटर मिलने के बाद उन्हें होम लोन पर टैक्स बेनेफिट मिलना शुरू हो जाएगा. जून में शिफ्ट होने के बाद उनका 14,000 रुपये का रेंट बचेगा.
होम–बायर को कौन से टैक्स बेनेफिट मिलते हैं
आयकर कानून के सेक्शन 80C के अंतर्गत होम–लोन के मूलधन (Principal Amount) पर सालाना 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन और सेक्शन 24 के अंतर्गत ब्याज पर 2 लाख रुपये तक का टैक्स डिडक्शन मिलता है.
इसके अलावा सेक्शन 80EEA के तहत ब्याज पर 1.5 लाख रुपये तक का अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन का भी प्रावधान है, जो सिर्फ फर्स्ट–टाईम बायर को ही मिलता है यदि प्रॉपर्टी की स्टैंप ड्यूटी वैल्यू 45 लाख रुपये तक है.
ABB & एसोसिएट्स के पार्टनर धवल लिम्बानी के मुताबिक, “यह देरी कुछ महीने की है, लेकिन इससे बायर के फाइनेंस पर गहरा असर पड़ता है. मान लें कि आपका होम लोन 45 लाख रुपये का है, आपकी सालाना कमाई 10 लाख रुपये है और आपको पजेशन मिलने में देरी हुई है तो आपकी टैक्स लायबिलिटी 45,890 रुपये तक बढ़ सकती है. यदि आपकी सालाना कमाई 15 लाख रुपये है तो टैक्स लाइबिलिटी 68,840 रुपये तक और 20 लाख रुपये सालाना कमाई पर 68,850 रुपये तक टैक्स बढ़ सकता है.” (टेबल देखिए)
सालाना इनकम |
टैक्स (पजेशन न मिलने के बाद)* | टैक्स (पजेशन के बाद)* |
नई टैक्स–व्यवस्था में टैक्स |
10 लाख रुपये | 1,25,240 | 79,350 |
83,500 |
15 लाख रुपये | 2,92,240 | 2,23,400 |
2,08,740 |
20 लाख रुपये | 4,59,240 | 3,90,390 |
3,75,740 |
(* पुरानी टैक्स–व्यवस्था के सेक्शन 80C और सेक्शन 24 के तहत डिडक्शन नहीं लेने के आधार पर टैक्स कैलकुलेशन)
सालाना 15 लाख की इनकम वाला व्यक्ति यदि नए टैक्स–रिजीम को पसंद करता है तो पजेशन में देरी के बावजूद वह टैक्स–लायबिलिटी में 14,660 रुपये तक की कमी कर सकता है. इसीलिए लिम्बानी बताते हैं कि नए टैक्स रिजीम का विकल्प अपनाना चाहिए.
अब क्या करें?
बायर को परेशान कर रही इस शॉर्ट-टर्म कठिनाई का सामना करने के लिए फाइनेंशियल प्लानर निपुन भट्ट सलाह देते हैं, “अगर आप के पास रेंट और EMI के डबल भुगतान करने के लिए अतिरिक्त फंड नहीं है तो आप 7 फीसदी से कम (बैंक एफडी जैसी सेविंग्स स्कीम्स) ब्याज वाली फाइनेंशियल एसेट से कुछ फंड निकाल सकते हैं. म्यूचुअल फंड जैसी ग्रोथ एसेट्स से फंड निकालने की जल्जबाजी न करें.”
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