सरकार ने बैंकों से 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की अटकी हुई रियल एस्टेट परियोजनाओं को पूरा करने के लिए भागीदारी बढ़ाने को कहा है. सस्ते और मध्यम आय आवास (SWAMIH) निवेश फंड के तहत अभी तक महज दो बैंक वित्त पोषित परियोजनाएं ही शुरू की गई हैं. अब सरकार ऐसे रुके हुए प्रोजेक्टों को जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश कर रही है. इस सिलसिले में पिछले दो महीनों में सभी हितधारकों के साथ कम से कम तीन दौर की बैठक की जा चुकी है.
क्या है SWAMIH फंड?
ताजा आंकड़ों के अनुसार, SWAMIH फंड के तहत 13,600 करोड़ रुपए की 131 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है. सरकार ने रुकी हुई आवास परियोजनाओं को पूरा करने में मदद के मकसद से साल 2019 में यह विशेष फंड लॉन्च किया था. इस फंड स्कीम को वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) के तौर पर डिजाइन किया गया है. इसका प्रबंधन एसबीआईकैप वेंचर्स की ओर से किया जाता है. पिछली बैठक में अधिकतर बैंकों ने इस बात पर सहमति जताई थी कि वे संपत्ति व फंड पर अपना पहला अधिकार छोड़ेंगे और प्रोजेक्ट को पूरा करने में आगे आने वाले फाइनेंसर की मदद करेंगे.
नए फाइनेंसरों ने रखी थी शर्त
डेवलपर्स को परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अधिक धन की जरूरत होती है. चूंकि बैंक उन्हें पहले से ही लोन दे चुके हैं और उनका पैसा फंसा हुआ है इसलिए ज्यादातर बैंक उन्हें और फंड नहीं देना चाहते. जिस वजह से प्रोजेक्ट समय से पूरे नहीं हो पाते हैं. ऐसे में नए कर्जदाताओं को आगे आने की जरूरत है. इस समस्या को सुलझाने और घर खरीदारों को राहत देने के लिए सरकार इस मामले को तेजी से निपटाना चाहती है. मगर नए फाइनेंसर, डेवलपर्स को इसलिए ऋण नहीं देना चाहते हैं क्योंकि जब खरीदार इन फ्लैटों को लेते हैं या पैसे के शेष हिस्से का निपटान करते हैं, तब बैंक इन संपत्तियों और नकदी प्रवाह पर पहले अधिकार का दावा करते हैं. इसी नियम को खत्म करने के लिए नए फाइनेंसरों ने शर्त रखी थी.
आरबीआई से बैंकों ने की ये मांग
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बैंकों ने आरबीआई से नियमों में कुछ लचीलेपन की मांग की है. उनका कहना है कि इन परियोजनाओं के लिए किसी भी नए फंड को स्टैंडर्ड लोन के रूप में माना जाना चाहिए न कि अटकी हुई परियोजनाओं के लिए जारी किए गए धन के रूप में. क्योंकि कुछ रियल एस्टेट परियोजनाओं में पहले जारी किए गए ऋण वैसे ही डूबे हुए कर्ज (एनपीए) में बदल चुके हैं.
कितने प्रोजेक्टों को मिली मंजूरी?
SWAMIH के तहत उन परियोजनाओं को पूरा करने पर विचार किया जा रहा है जिनका सकारात्मक नेटवर्थ है. रिपोर्ट के मुताबिक इस विशेष फंड के तहत 12 परियोजनाओं में से लगभग 1.1 लाख इकाइयों को मंजूरी दी गई है. मगर जो परियोजनाएं रेरा के साथ पंजीकृत हैं, उनकी लागत अब कम से कम 30% बढ़ गई है. ऐसे में उन प्रोजेक्टाें को पूरा करने के लिए ज्यादा धन की जरूरत है.