अटकी हुई रियल एस्टेट परियोजनाओं पर दोबारा काम शुरू कराने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है. केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की ओर से गठित समिति ने इस सिलसिले में अपनी रिपोर्ट केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी को सौंप दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी हितधारकों जैसे-डेवलपर्स, फाइनेंसरों यानी बैंकों और लैंड अथॉरिटीज को “हेयरकट” यानी “नुकसान” उठाना होगा. हेयरकट का मतलब है कि बैंक और लोकल अथॉरिटी को अपने बकाए से कम रकम लेने के लिए तैयार होना होगा ताकि प्रोजेक्ट को वापस से चालू हालत में लाया जा सके.
रिपोर्ट के मुताबिक, देश में जितनी परियोजनाएं ठप पड़ी हैं, उनमें 44 फीसदी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में और 21% मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) में हैं. इंडियन बैंक एसोसिएशन (IBA) का अनुमान है कि अटकी परियोजनाओं की वजह से 4.12 लाख मकानों में काम बहुत देरी से चल रहा है या फिर बंद पड़ा है. इनकी कीमत 4.08 लाख करोड़ रुपए है. इनमें से करीब 2 लाख 40 हजार घर अकेले NCR में हैं.
नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता वाली समिति ने सिफारिश की है कि राज्य सरकारें एक रिवाइवल पैकेज लाएं, जिसके तहत डेवलपर्स को तीन साल की समयसीमा में काम पूरा करना होगा. रिपोर्ट में नोएडा और ग्रेटर नोएडा के लिए पैकेज का उदाहरण दिया गया है. जिसमें कोविड महामारी के चलते 1 अप्रैल, 2020 से 31 मार्च, 2022 तक इंटरेस्ट और पेनाल्टी पर छूट दी गई थी. ये जीरो पीरियड के तहत आएगा. इसके अलावा अदालत ने ओखला पक्षी अभयारण्य के 10 किमी के भीतर निर्माण पर रोक लगा दी है.
रिपोर्ट में को-डेवलपरों को परियोजनाओं को पूरा करने में मदद करने की अनुमति देने और आंशिक सरेंडर नीति की सिफारिश की. जिसके तहत डेवलपर्स अपने बकाया के बदले ऐसी जमीन वापस करनी होगी, जिसका उसने इस्तेमाल नहीं किया है. समिति ने यह भी सिफारिश की कि प्राधिकरण को भुगतान किए बिना एप्रूवल प्लान को तीन साल तक बढ़ाया जाना चाहिए. इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार के पैकेज के तहत परियोजनाओं के घर खरीदारों से कोई जुर्माना या अतिरिक्त ब्याज नहीं लिया जाना चाहिए. समिति ने सुझाव दिया कि रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016, संबंधित रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (RERA) के साथ परियोजनाओं को पंजीकृत करने का प्रावधान लागू किया जाना चाहिए.
पैनल ने यह भी सिफारिश की कि RERA उन परियोजनाओं की पहचान करें जो ज्यादातर पूरी हो चुकी हैं, लेकिन अनापत्ति और पूर्णता प्रमाण पत्र यानी NoC और कम्प्लीशन सर्टिफिकेट न होने जैसी प्रशासनिक फॉर्मेलिटीज के कारण रुकी हुई हैं और खरीदारों को वितरित नहीं की गई हैं. ऐसी परियोजनाओं के निपटारे के लिए 30 दिनों का वक्त दिया जाना चाहिए.
रिपोर्ट पर मंत्री हरदीप पुरी ने ट्विटर/एक्स पर एक पोस्ट में कहा, सिफारिशें रुकी हुई आवास परियोजनाओं को पूरा करने में मदद करेगी, इससे लाखों घर खरीदारों को राहत मिलेगी. बता दें 31 मार्च को गठित समिति ने हितधारकों – घर खरीदारों, बैंकों, डेवलपर्स और नियामकों के साथ पांच बैठकें कीं. MoHUA के एक अधिकारी ने कहा कि रिपोर्ट राज्यों को भेज दी गई है, जो इसके कार्यान्वयन पर निर्णय लेंगे.