प्रोविडेंट फंड (Provident Fund) में टैक्स बचत के लिए बड़ा निवेश करने वालों पर टैक्स देनदारी के लिए सरकार ने बजट 2021 में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा निवेश पर ब्याज पर टैक्स लगाने का फैसला लिया है उसपर वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने सफाई दी है. वित्त मंत्री ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा है कि बजट में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के प्रोविडेंट फंड निवेश पर ब्याज पर टैक्स के एलान पर दोबारा समीक्षा करने को तैयार हैं.
वित्त मंत्री ने इंटरव्यू में इस बात की भी सफाई दी है कि सरकार एंप्लॉई प्रोविडेंट फंड (Employees Provident Fund – EPF) को नेशनल पेंशन स्कीम (National Pension Scheme – NPS) में मर्ज करने की कोई योजना नहीं बना रही.
उन्होंने अखबार को बताया, “जिनकी आय हर महीने 15,000 रुपये से ज्यादा है हम उन्हें EPF (Employee Provident Fund) का हिस्सा बनने से रोकना नहीं चाहते. 2.5 लाख रुपये की लिमिट पर चर्चा के लिए कभी भी तैयार हैं. मैं फैसले पर पुनर्विचार कर उसकी समीक्षा कर सकती हूं. पर ये सिद्धांत की बात है. हम सिर्फ उन्हीं तक पहुंच रहे हैं जो EPF में एक औसत भारतीय की प्रति माह आय से कहीं ज्यादा निवेश कर रहे हैं.”
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर भी वित्त मंत्री ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को इस मुद्दे का हल निकालने के लिए साथ बैठकर विचार करना चाहिए.
उन्होंने कहा, “इसे (पेट्रोल-डीजल को) GST के दायरे में लाना एक विकल्प हो सकता है — इससे देशभर में एक कीमत पर ये आएंगे. GST काउंसिल इसपर विचार कर सकता है. पर, बात ये भी है कि तब भी केंद्र और राज्य दोनों के बीच ही बात बननी होगी.”
क्या है PF पर टैक्स का मुद्दा?
आप अगर नौकरी करते हैं तो आपके रिटायरमेंट के लिए आपके सैलरी से हर महीने पैसे कटते हैं और EPF (Employee Provident Fund) में जाते हैं. बेसिक सैलरी से 12 फीसदी आप देते हैं और और 12 फीसदी एम्पलॉयर देता है. अब अगर आप महीने में कुल 20,833 रुपये का कंट्रीब्यूशन करते हैं तो कोई चिंता नहीं लेकिन इससे ऊपर अगर आपका कंट्रीब्यूशन जाएगा तो फिर आपको EPF से मिल रहे ब्याज पर टैक्स देना होगा. यानि अगर आपका EPF कंट्रीब्य़ूशन 2.5 लाख की लक्ष्मण रेखा को पार करेगा तो अपने स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा.
सिर्फ उनके लिए चिंता की बात है जो वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (Voluntary Provident Fund) के रूट से अपना PF कंट्रीब्यूशन बढ़ाते हैं. हर एम्प्लॉई केवल अपनी सैलरी के बेसिक का 12 फीसदी ही कॉन्ट्रीब्यूट कर सकता है. लेकिन अगर कोई इससे ज्यादा करना चाहे तो वो VPF के ज़रिए अपने बेसिक का 100 परसेंट तक डाल सकता है. अब कौन हो सकते हैं ये? ये वो लोग हैं जो कंपनियों के डायरेक्टर या ओनर या ऊंचे पद पर होते हैं जो अपने कंट्रीब्यूशन को बढ़ा सकते हैं. क्या आप जानते हैं कि भारत में 4.5 करोड़ PF धारकों में 0.3 परसेंट अकाउंट है जिनका कंट्रीब्यूशन 2.5 लाख से ज्यादा है.
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