प्रोविडेंट फंड में ढ़ाई लाख रुपए से ऊपर योगदन करने पर मिलने वाला ब्याज टैक्स के दायरे में आएगा. यूनियन बजट में सरकार के इस ऐलान के बाद नौकरीपेशा कर्मचारियों की चिंता लाज़मी है. लेकिन, इस कदम का असर छोटी बचत करने वालों के बटुए पर नहीं बल्कि बड़ी बचत करने वाले मोटे बटुए पर पड़ेगा. क्या आपको पता है कि देश में एक खाते में 103 करोड़ रुपए का बैलेंस है.
देश में कुल 4.5 करोड़ PF धारकों में 1.23 लाख ऐसे PF अंकाउंट हैं जिनका बैलेंस करोड़ों में है. देश के टॉप 20 PF खाते में 825 करोड़ रुपए जमा हैं. और करोड़ों का बैलेंस रखने वालों को करोड़ों का टैक्स-फ्री ब्याज भी मिल रहा है.
रिटायर्ड सेंट्रल प्रोविडेंट फंड कमिश्नर के के जालान का कहना है कि “ये कदम सही दिशा में हैं क्योंकि देश में ऐसे अकाउंट की तादाद अच्छी-खासी है, जिन्हें सरकार की तरफ से टैक्स-फ्री ब्याज की जरूरत नहीं हैं. लेकिन, वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड के रास्ते वो अपना योगदान बढ़ाकर टैक्स-फ्री ब्याज कमा रहें हैं. इस तरह एक और कदम ये उठाना चाहिए कि योगदान को भी कैप किया जाए. EPF पर टैक्स के ज़रिए टैक्स लीकेज के एक बड़े गैप को भरने के लिए कदम उठाया गया है.
टैक्स एक्सपर्ट गौरी चढ्ढा का कहना है कि “सरकार के पास कोई खज़ाना तो है नहीं कि गैंरंटीड रिटर्न देती जाए. जिन कर्मचारियों को ज्यादा सैलरी मिलती है और वो ज्यादा योगदान देते हैं तो उस पर मिल रहे रिटर्न पर टैक्स भी अदा करने की काबलियत रखते हैं. उन पर टैक्स लगाने में कोई हर्ज नहीं है.”