न्यू वेज कोड (New wage Code) यानि नए श्रम कानून को 1 अप्रैल 2021 से लागू किया जाना है. हालांकि, कुछ राज्यों ने अभी तक इसका ड्राफ्ट प्लान सब्मिट नहीं किया है. इसकी वजह से इसमें देरी की संभावना जताई जा रही है. लेकिन, नए श्रम कानून (New wage Code) में कुछ बदलाव को लेकर अभी भी लेबर मिनिस्ट्री (Labour Ministry) और लेबर यूनियन (Labour Union) के बीच चर्चा जारी है. इसमें इंडस्ट्री के लोगों को भी शामिल किया गया है. सूत्रों के मुताबिक, अगले दो हफ्तों में इसके लिए गाइडलाइंस जारी की जा सकती हैं.
EPF, सैलरी, पेंशन पर हो सकता है फैसला EPFO बोर्ड मेंबर और भारतीय मजदूर संघ के जनरल सेक्रेटरी विरजेश उपाध्याय ने बताया नए श्रम कानूनों (New labor law) में अभी भी कुछ बदलाव होने बाकी हैं. कर्मचारियों के लिए सोशल सिक्योरिटी (Social Security) अहम है. इसमें कई अहम पहुलओं हैं, जिन पर चर्चा की जा रही है. कर्मचारियों के काम के घंटे, सालाना छुट्टियों, पेंशन, PF, टेक होम सैलरी, रिटायरमेंट जैसे अहम मुद्दे पर नियमों में बदलाव होना है. नए नियमों को 1 अप्रैल से पहले बदलाव करने की संभावना है. क्योंकि, 1 अप्रैल से न्यू वेज कोड (New wage code) को लागू करना है. इसके अलावा भी कई मुद्दें हैं, जिनका जिक्र लेबर यूनियन ने किया है.
अवकाश की सीमा बढ़ाने की मांग लेबर मिनिस्ट्री की लेबर रिफॉर्म्स सेल (Labour Reform cell) के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि लेबर यूनियन की तरफ से PF और सालाना छुट्टियों को लेकर डिमांड रखी गई है. इस पर फैसला होना है. पहले भी कई मीटिंग में इन मुद्दों पर चर्चा हो चुकी है. जल्द ही फैसला लिया जा सकता है. यूनियन चाहती है कि अर्जित अवकाश (Earned leave) की फिलहाल जो सीमा है वो 240 दिन है, इसे बढ़ाकर 300 दिन की जानी चाहिए. इसके अलावा बिल्डिंग एंड कंस्ट्रक्शन सेक्टर, बीड़ी वर्कर्स, पत्रकारों और सिनेमा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी अलग नियम बनाए जाने चाहिए. ये सभी डिमांड सरकार के समक्ष रखी गई हैं.
EPF के बदल सकते हैं नियम भारतीय मजदूर संघ के महासचिव विरजेश उपाध्याय के मुताबिक, सरकार से मांग की गई है कि कर्मचारी राज्य बीमा योजना की तरह कर्मचारी भविष्य निधि योजना (EPF) की एलिजिबिलिटी 15,000 रुपए मासिक वेतन से बढ़ाकर 25,000 रुपए या कम से कम 21000 रुपए किया जाना चाहिए. कानूनों पर अंतिम दौर की चर्चा चल रही है. सभी मुद्दों का समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है और इसके बाद जल्द ही नियमों को नोटिफाई कर दिया जाएगा.
1 अप्रैल से लागू होने है नए श्रम कानून सरकार ने 29 केंद्रीय लेबर कानूनों को मिलाकर 4 नए कोड (New wage Code) बनाए हैं. इनमें इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड, कोड ऑन ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड (OSH), सोशल सिक्योरिटी कोड और कोड ऑन वेजेज शामिल हैं. निशीथ देसाई एसोसिएट्स में हेड (HR laws) विक्रम श्रॉफ के मुताबिक, लेबर कोड्स में कुछ नए कॉन्सेप्ट लाए गए हैं. लेकिन, सबसे बड़ा बदलाव ‘वेज’ की परिभाषा के विस्तार का है. चारों कोड में ये परिभाषा एक ही तरह की है. नए लेबर कोड का मकसद कंसोलिडेशन पर है. हालांकि, कुछ नए कन्सेप्ट्स भी इसमें जोड़े गए हैं. अगर सही ढंग से इन कानूनों को लागू किया जाता है तो वर्किंग क्लास के लिए काफी फायदा होगा. इसका वर्कर्स और एम्प्लॉयर पर बड़ा असर दिखाई देगा. कर्मचारियों की इन हैंड सैलरी पर भी असर दिखाई देगा. सैलरी का 50 फीसदी सीधे तौर पर वेजेज में शामिल होगा. सामाजिक सुरक्षा में वृद्धि के साथ नई परिभाषा का इस बात पर सीधा असर पड़ने की संभावना है कि सैलरी का कैलकुलेशन कैसे होता है. हालांकि, कर्मचारियों को फायदा पहुंचाने का इरादा था, लेकिन यह संभावना है कि उनकी टेक होम सैलरी (इन हैंड सैलरी) कम हो जाने से इसका प्रतिकूल प्रभाव दिख सकता है, कुछ ऐसा जिसकी परिकल्पना नहीं की गई थी. बता दें, संसद से श्रम सुधारों से जुड़े नए कानून पास हो चुके हैं. अब केंद्र सरकार की कोशिश है कि इन्हें 1 अप्रैल से लागू कर दिया जाए.
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