कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा 20 फरवरी को जारी आंकड़ों के मुताबिक उसके पास शुद्ध नए पंजीकरण की संख्या दिसंबर में 24 प्रतिशत बढ़कर 12.54 लाख हो गई.
इन आंकड़ों से कोविड-19 महामारी के बीच औपचारिक क्षेत्र में रोजगार की स्थिति का पता चलता है.
श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ईपीएफओ (EPFO) के अनंतिम वेतन आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2020 में शुद्ध आधार पर 12.54 लाख खाताधारक बढ़े, जो एक सकारात्मक संकेत है.
बयान में कहा गया कि वर्ष दर वर्ष आधार पर वेतन के आंकड़े दिसंबर में 24 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्शाते हैं। खाताधारकों में बढ़ोतरी का यह आंकड़ा कोविड-पूर्व के स्तर के समान है.
यह बढ़ोतरी नवंबर 2020 के मुकाबले 44 प्रतिशत अधिक है.
आंकड़ों के मुताबिक कोविड-19 महामारी के बावजूद ईपीएफओ (EPFO) ने चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों के दौरान लगभग 53.70 लाख खाताधारकों को जोड़ा.
KYC में बदलाव पर भी नए नियम
EPFO ने हाल ही में KYC में बदलाव पर नए नियम जारी किए हैं. अब अकाउंट होल्डर की डिटेल में बड़े बदलाव ऑफलाइन या ऑनलाइन करवाने के लिए प्रमाण पत्र दिखाना अनिवार्य होगा. वेरिफिकेशन के बाद ही कर्मचारी के नाम आदि जैसी जानकारी में बदलाव हो सकेंगे. ऐसे बदलाव के लिए ये प्रमाण देना होगा कि कानूनी प्रक्रिया के बाद नाम बदला गया है या फिर पहले के कागजातों में किसी गलती की वजह से इस बदलाव की जरूरत पड़ी है.
सर्कुलर के मुताबिक ऐसा कई बार पाया गया है कि प्रोफाइल और नाम को पूरी तरह बदलकर फ्रॉड तरीके से खाते से पैसे निकाले गए हैं.
ईपीएफओ (EPFO) का कहना है कि नाम और सरनेम को बड़ा या छोटा करना माइनर चेंज यानि मामूली बदलाव माने जाएंगे और इनमें बदलाव की अनुमति रहेगी, बशर्ते नाम का पहला अक्षर नहीं बदला जा रहा हो. मान लीजिए किसी का नाम आर कुमार है तो वो इसे बदलवाकर राकेश कुमार कर पाएंगे, लेकिन इसी को सुरेश कुमार नहीं किया जा सकेगा.
ठीक इसी तरह शादी के बाद आधार कार्ड के मुताबिक मिडिल नाम या सरनेम जोड़ने की अनुमति होगी.