फाइनेंस बिल संसद में क्लियर हो चुका है. इसमें कई संशोधन भी किए गए हैं. लेकिन, EPF के मामले में बड़ी राहत दी गई है. अब 5 लाख रुपए तक के सालाना कंट्रीब्यूशन के ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. इससे पहले बजट 2021 में सरकार ने 2.5 लाख रुपए तक के ब्याज को टैक्स फ्री रखा था. फाइनेंस बिल पेश करते हुए वित्त मंत्री ने इस लिमिट को बढ़ा दिया है. हालांकि, इसमें एक शर्त रखी गई है. यह छूट सिर्फ उन कर्मचारियों को मिलेगी, जिनका प्रोविडेंट फंड में खुद का कंट्रीब्यूशन है. मतलब एम्प्लॉयर उसमें कंट्रीब्यूट नहीं करता है. नया नियम 1 अप्रैल 2021 से लागू हो जाएगा.
कितनी सैलरी वालों को मिलेगा फायदा? अब मामला यहां आता है कि थ्रेशहोल्ड लिमिट बढ़ने का फायदा किसे मिलेगा. क्योंकि, प्राइवेट नौकरी में 5 लाख सालाना प्रोविडेंट फंड में जमा करने वाले काफी कम हैं. साथ ही जो लोग हैं, उनके अकाउंट में एम्प्लॉयर का भी शेयर होता है. इस फैसले का सबसे ज्यादा फायदा उसे ही मिलेगा जिसकी बेसिक सैलरी 41.66 लाख रुपए तक होगा. मतलब किसी का सालाना पैकेज 83 लाख रुपए (50 फीसदी CTC के मुताबिक) होगा. मतलब वो इंडीविजुअल जिसका EPF (12% के हिसाब से) में हर महीने 41 हजार 666 रुपए जमा होगा, वो टैक्स के दायरे में नहीं आएगा. अगर आप इतनी राशि अपने अकाउंट में जमा करते हैं तो इसके ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. लेकिन यह तभी होगा, एम्प्लॉयर की तरफ से कंट्रीब्यूशन न किया गया हो.
अगर 5 लाख से ज्यादा हुआ कंट्रीब्यूशन तो..? अगर EPF अकाउंट में सालाना कंट्रीब्यूशन 5 लाख रुपए ज्यादा होता है तो उसके एडिशनल कंट्रीब्यूशन के ब्याज पर टैक्स लगेगा. मतलब यह कि जिसकी मंथली 3,47,216 रुपए से ज्यादा होगा, उसका सालाना कंट्रीब्यूशन ही 5 लाख रुपए से ज्यादा होगा. मान लेते हैं कोई EPF सदस्य अपने प्रोविडेंट फंड अकाउंट में सालाना 12 लाख रुपए जमा करता है तो 5 लाख के ऊपर बचे 7 लाख के ब्याज पर टैक्स लगेगा. 7 लाख पर कुल ब्याज 59600 रुपए होगा (8.5 फीसदी ब्याज के हिसाब से). इस ब्याज पर 30 फीसदी की टैक्स दर के हिसाब से करीब 18,450 रुपए होगा.
ब्याज पर टैक्स का फैसला क्यों? वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में ही साफ किया था कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां टैक्स फ्री इनकम का फायदा लेने के लिए EPF में बड़ा हिस्सा जमा हो रहा है. ऐसे कई EPF अकाउंट्स की पहचान भी की गई थी. इसके बाद ही सरकार ने बजट 2021 में 2.5 लाख रुपए से ऊपर के कंट्रीब्यूशन के ब्याज पर टैक्स लगाने का फैसला किया था. इसका सीधा असर उन HNI अकाउंट्स पर पड़ेगा, जहां बड़ा कंट्रीब्यूशन जमा होता है. हालांकि, वित्त मंत्री ने साफ किया था कि इसका असर सिर्फ 2 फीसदी लोगों पर होगा. हालांकि, अब इसकी लिमिट बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दी गई.
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