कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पीएफ पर ब्याज दर (EPF Interest rate) 8.55% पर बरकरार रखी. लेकिन, पिछले 7 साल में यह ब्याज दर सबसे कम है. इससे पहले वित्त वर्ष 2016-17 के लिए यह 8.65% थी. लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रोविडेंट फंड यानी आपके PF पर मिलने वाला ब्याज कभी 12% भी हुआ करता था. लेकिन, पिछले कई सालों में लगातार इसमें कटौती होती चली गई. इस बार भी कयास लगाए गए थे कि ब्याज में कटौती हो सकती है. लेकिन, CBT ने इसे बरकरार रखने की ही सिफारिश की.
कब कितनी मिलती थी ब्याज दर? 1952 में जब भारत सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की स्थापना की तब ये EPF स्कीम 1952 एक्ट को लागू किया गया. यहीं से PF पर मिलने वाले ब्याज की शुरुआत हुई. शुरुआत में इस पर ब्याज दर महज 3% थी. इसके बाद वित्त वर्ष 1955-56 में इसे पहली बार बढ़ाया गया. दो साल के लिए तय की गई यह ब्याज दर 3.50% रही. इसके बाद 1963-64 में यह बढ़ते हुए 4% पर पहुंची.
1963-64 से हर साल बढ़ाया गया ब्याज वित्त वर्ष 1963-64 के बाद से हर साल इसे 0.25 फीसदी बढ़ाया जाने लगा. 1969-70 तक यह बढ़कर 5.50% पहुंच गई. हालांकि, उसके बाद से इसके लगातार 0.25% पर ब्रेक लगा और EPFO ने वित्त वर्ष 1970-71 में इसे महज 0.10 फीसदी ही बढ़ाया.
ब्याज के अलावा दिया गया बोनस 1977-78 में पहली बार ब्याज दर 8% पहुंची थी. उसके बाद से यह इससे ऊपर ही है. लेकिन, 1978-79 में सबसे बड़ा फायदा पीएफधारकों को मिला. जब सरकार ने इसे 8.25% करने के साथ ही 0.5% का बोनस भी दिया. हालांकि, यह बोनस उन लोगों के लिए लिया था, जिन्होंने कभी अपना PF नहीं निकाला हो. बोनस के रूप में मिलने वाली रकम को सिर्फ 1976-1977 और 1977-1978 के PF पर ही दिया गया.
पहली बार 10% की गई ब्याज दर प्रोविडेंट फंड (Provident Fund) पर मिलने वाला ब्याज पहली बार दो डिजिट में 1985-86 में पहुंची. उस दौरान सरकार ने सीधे इसे 9.90% से बढ़ाकर 10.15% कर दिया. इसके बाद और ऊंची छलांग देखने को मिली. जब अगले ही साल 1986-87 के लिए ब्याज दर 11% तय की गई.
10 साल तक नहीं बदली ब्याज दर पहली बार ऐसा हुआ जब पीएफ ब्याज दर (EPF Interest rate) को 10 साल तक बदला नहीं गया. EPFO ने 1989-90 में PF पर सबसे ज्यादा 12% ब्याज मिलता था. इसे साल 2001 तक बदला नहीं गया. वित्त वर्ष 2000-01 तक PF पर 12% की दर से ही ब्याज मिलता रहा. लेकिन, इसके बाद लगातार नौकरीपेशा की जेब पर कैंची चलनी शुरू हुई. जुलाई 2001 से इसे घटाकर 11% किया गया.
नौकरीपेशा की जेब पर चली ‘कैंची’ 2004-05 में फिर नौकरीपेशा की जेब पर कैंची हुआ. पीएफ की ब्याज दर (EPF Interest rate) सीधे 1% की कटौती की गई और इसे 9.50% से घटाकर 8.50% कर दिया गया. हालांकि, 2010-11 में इसे बढ़ाकर फिर से 9.50% तय किया गया. लेकिन, 2011-12 में फिर एक बार बड़ी कटौती की गई. इसे 9.50% से घटाकर 8.25% कर दिया गया. 2014-15 में यह फिर से बढ़कर 8.75% पर पहुंची. 2015-16 में इसे फिर बढ़ाया गया और यह दर 8.80% तक पहुंची. लेकिन, उससे बाद से इसमें लगातार कटौती हुई है. मौजूदा दर 8.50% रखी गई है.
क्या है EPF? एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड (EPF) एक तरह का निवेश है, जो किसी सरकारी अथवा गैर सरकारी कंपनी में कार्यरत कर्मचारी के लिए होता है. पीएफ हर नौकरीपेशा के भविष्य में सहायक होता है. इस फंड को EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) मेनटेन रखता है. कानून के नियमानुसार वह कंपनी जिसके पास 20 से ज्यादा व्यक्ति काम करने वाले हैं, उसका पंजीकरण EPFO में होना जरुरी है. इसके तहत वेतन पाने वाले व्यक्ति की सैलरी का कुछ भाग हर महीने में यहां जमा होता है और यह पैसा रिटायरमेंट के समय काम आता है.
PF के रूप में कितना हिस्सा सैलरी से कटता है EPFO के तहत आने वाली कंपनियों में नौकरी करने वाले कर्मचारी की सैलरी से 12% हिस्सा कटता है. इतना ही हिस्सा कंपनी के खाते से भी जमा होता है. यह ध्यान देने वाली बात यह है कि आपकी सैलरी से कटा पूरा 12% आपके खाते में जाएगा. लेकिन, कंपनी के खाते से कटे 12% हिस्से में से 3.67% हिस्सा PF में और 8.33% EPS (एम्प्लॉयी पेंशन स्कीम) में जमा होता है. उदाहरण के तौर पर आपकी बेसिक सैलरी 6500 से है तो आपकी कंपनी का 8.33% यानि 541 रुपए ही EPS में जमा होंगे. बाकी पैसा EPF में जाएगा. इस तरीके से कुल 24% हिस्सा आपके EPF में जमा होता है.
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