2008 के बाद पोस्ट ऑफिस स्कीमों में अचानक बढ़ी लोगों की दिलचस्पी, जानिए क्या है वजह

SBI ने कहा है कि देश में वरिष्ठ नागरिकों के लिए व्यापक सामाजिक सुरक्षा प्रोग्राम न होने से SSS उनके लिए एक बड़ा सहारा हैं.

In this scheme of post office, account can be opened by depositing only Rs 500 for a year

इंडियन पोस्ट की PPF स्कीम का फायदा आप कम पूंजी लगाकर भी शुरू कर सकते हैं.

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देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि सरकार ने स्मॉल सेविंग्स स्कीमों (SSS) पर ब्याज दरों की ब्याज दरों में कोई बदलाव न करके एक सही फैसला किया है. SBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा दौर में देश जिस तरह की एक असाधारण महामारी से गुजर रहा है उसमें सरकार ने इन दरों में कोई कटौती न करके एक सही फैसला लिया है.

SBI की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में सामाजिक सुरक्षा की व्यापक योजनाएं न होने के चलते स्मॉल सेविंग्स स्कीमें (SSS) लोगों के लिए एक बड़ा सहारा हैं. ऐसे में सरकार को इन स्कीमों पर मिलने वाले ब्याज को टैक्स फ्री करने पर सोचना चाहिए.

SBI ने ये भी कहा है कि 2008 में वित्तीय संकट आने के पहले तक देश में पोस्ट ऑफिस की SSS में कलेक्शन में कमी आ रही थी, लेकिन 2008 के बाद से इसमें अचानक तेजी आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका मतलब ये लगता है कि 2008 के बाद से भारत में लोग जोखिम लेने से ज्यादा बचने लगे हैं.

उम्रदराज लोगों की बढ़ रही तादाद

SBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में उम्रदराज लोगों की आबादी 2011 में 8.6 फीसदी थी जो कि 2041 में बढ़कर 15.9 फीसदी पहुंच जाएगी. यह आर्थिक और सामाजिक दोनों तरह से देश के सामने एक बड़ी चुनौती होगी. विकसित देशों के उलट भारत में उतना व्यापक सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम मौजूद नहीं है. ऐसे में भारत में स्मॉल सेविंग्स स्कीमों (SSS) की बड़ी अहमियत है. इन स्कीमों की ब्याज दरें सरकार तय करती है.

ज्यादा प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों में छोटी बचत योजनाओं में लगा है कम पैसा

रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन राज्यों में प्रति व्यक्ति आय ज्यादा है वहां पर पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट्स कम हैं. मसलन महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे ज्यादा प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों में पोस्ट ऑफिस के जमा में हिस्सेदारी केवल 60 फीसदी है.

दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार जैसे कम प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों में उम्रदराज लोगों (60 साल से ज्यादा) की पहली पसंद पोस्ट ऑफिस सेविंग्स स्कीमें हैं.

फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद पोस्ट ऑफिस स्कीमों में फिर बढ़ा लोगों का भरोसा

SBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2008-09 में फाइनेंशियल क्राइसिस आने तक स्मॉल सेविंग स्कीमों में कलेक्शन घट रहा था. लेकिन, फाइनेंशियल क्राइसिस आने के बाद लोगों का रुझान पोस्ट ऑफिस स्कीमों में अचानक बढ़ा है. कम कमाई वाले पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में यह उछाल सबसे ज्यादा देखा गया है. यहां तक कि महाराष्ट्र जैसे ज्यादा प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों में भी पोस्ट ऑफिस की सेविंग स्कीमों में कलेक्शन में उछाल आया है.

वरिष्ठ नागरिकों को SSS में ब्याज पर टैक्स छूट दे सरकार

हालांकि, SBI के ग्रुप चीफ इकनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष की अगुवाई में रिसर्च टीम ने हालांकि कहा है कि सरकार को सभी लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए एक तीन-तरफा रणनीति अपनानी चाहिए.

SBI ने कहा है सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीमें पूरी तरह से टैक्सेबल हैं. SBI ने कहा है कि फरवरी 2020 में SCSS में बकाया रकम 73,725 करोड़ रुपये थी. अगर इस रकम पर पूरी टैक्स या थ्रेशहोल्ड सीमा तक छूट दी जाती है तो इसका सरकारी खजाने पर मामूली असर होगा.

SBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में ब्याज दरों को उम्र के आधार पर ब्याज दरों के स्ट्रक्चर के साथ लिंक किए जाने पर भी विचार किया जा सकता है.

PPF में रकम निकासी की इजाजत हो

इसके अलावा बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि PPF भी सरकारी समर्थन वाली एक स्कीम है जो कि लंबी अवधि की सेविंग्स स्कीमों की तरह से है. ऐसे में PPF पर सरकार को 15 साल का लॉक इन पीरियड हटाना चाहिए ताकि निवेशकों को अपने पैसे को निकालने की आजादी मिल सके. रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें तय की जा सकती हैं.

Published - April 16, 2021, 03:32 IST