बैंकों के निजीकरण ( Privatisation) को लेकर एक बार फिर बड़ी खबर सामने आ रही है. केंद्र सरकार ने बैंकों के निजीकरण पर फिर से काम करना शुरू कर दिया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल बजट में IDBI Bank के निजीकरण का ऐलान किया था लेकिन इसके बाद सरकार ने बजट के ठीक पहले सदन में बैंकों के निजीकरण संबंधी बिल लाने के प्रस्ताव को रोक दिया था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक IDBI बैंक के निजीकरण के तहत सरकार और एलआईसी, आईडीबीआई बैंक में 61 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री कर रही हैं. इसके लिए सरकार को कई निवेशकों से बोलियां (EoI) भी प्राप्त हुईं. फिलहाल, एलआईसी के पास आईडीबीआई बैंक का 94.72 प्रतिशत हिस्सा है. सरकारी बैंकों के निजीकरण को लेकर कई अटकलें भी रही है. मार्च 2023 में दीपम सचिव तुहीन कांत पांडेय ने ट्वीट कर बताया था, ‘विभिन्न ईओआई मिलने के बाद लेनदेन अब निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार आगे बढ़ रहा है.’ इसके बाद मीडिया में चल रही इस खबर पर विराम लग गया कि सरकार आईडीबीआई का विनिवेश टाल सकती है.’
IDBI बैंक को खरीदने की रेस में दो नए नाम
इस बीच IDBI बैंक को खरीदने के लिए 2 खरीदारों के नाम सामने आ रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोटक महिंद्रा बैंक और प्रेम वाटसा की फेयरफॉक्स इंडिया होल्डिंग ने IDBI बैंक को खरीदने के लिए इच्छा जताई है. दोनों ही खरीदार इस बैंक में कंट्रोलिंग हिस्सेदारी खरीदने के लिए ज्यादा कीमत भी देने के लिए तैयार हैं. हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दोनों ही खरीदार अपने मौजूदा बैंकिंग कारोबार में IDBI बैंक का विलय करने के पक्ष में नहीं हैं.
कितनों बैंकों का निजीकरण?
इस बीच देश के दो प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने सरकार को सलाह दी थी कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को छोड़कर सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण कर देना चाहिए. वहीं, नीति आयोग ने बताया है कि देश के छह सरकारी बैंकों का निजीकरण नहीं किया जाएगा. दूसरी तरफ, बैंक कर्मचारी इस निजीकरण का लगातार विरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार अपने फैसले पर सख्त है.
नीति आयोग ने दी जानकारी
नीति आयोग ने बताया कि छह बैंकों का निजीकरण नहीं किया जाएगा. आयोग ने लिस्ट जारी कर बताया है कि सरकार एसबीआई, पीएनबी, केनरा बैंक, यूनियन बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन बैंक का निजीकरण नहीं करेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिन बैंकों का पहले मर्जर हो चुका है उन्हें उन्हें निजीकरण से बाहर रखा गया है. पीएसयू बैंकों में जिनका निजीकरण किया जाना है, उनके नाम फाइनल करने के लिए सरकार की तरफ से एक नई समिति गठित की जा सकती है. इनमें मिड और स्मॉल साइज के बैंक शामिल हैं.