क्या बढ़ेगी मनरेगा की दिहाड़ी?

सरकार की एक उच्च स्तरीय पैनल ने मनरेगा की दिहाड़ी बढ़ाने की सिफारिश की

क्या बढ़ेगी मनरेगा की दिहाड़ी?

मनरेगा के तहत काम करने वाले लोगों की दिहाड़ी बढ़ाने के लिए सरकार काम कर रही है. सरकार ने इसके लिए एक उच्च स्तरीय पैनल का गठन किया है. पैनल ने सिफारिश की है कि योजना के तहत अभी जितनी दिहाड़ी दी जा रही है उससे ज्यादा दिहाड़ी दिए जाने की जरूरत है. पैनल ने हाल ही में हुई सालाना बढ़ोतरी के अलावा मौजूदा दिहाड़ी में बढ़ोतरी की सिफारिश की है. हालांकि पूर्व ग्रामीण विकास सचिव अमरजीत सिन्हा की अध्यक्षता वाले पैनल ने दिहाड़ी में बढ़ोतरी की सटीक मात्रा का सुझाव नहीं दिया है. पैनल ने मनरेगा के बजट को बढ़ाए जाने की सिफारिश भी की है.

पैनल की सिफारिश से मुश्किल में सरकार
वहीं पैनल के द्वारा की गई सिफारिश की वजह से सरकार अब मुश्किल में भी पड़ गई है. दरअसल, मनरेगा के तहत मिलने वाली दिहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण मजदूरी के लिए बेंचमार्क के रूप में काम करती हैं और उसका असर उद्योग में मिलने वाली मजदूरी पर भी पड़ता है. जानकारों का कहना है कि मनरेगा की दिहाड़ी में अगर कोई भी बढ़ोतरी की जाती है तो उससे कृषि मजदूरी के भी बढ़ने की पूरी संभावना है. ऐसे समय में जब सरकार महंगाई को काबू में करने के लिए हर तरह के प्रयास कर रही है तो कृषि मजदूरी बढ़ने की वजह से किसानों की कृषि उत्पादन की लागत बढ़ जाएगी और जिससे अर्थव्यवस्था पर महंगाई का दबाव बढ़ सकता है.

मनरेगा की दिहाड़ी को बाजार दरों के करीब लाने का सुझाव
पैनल ने अपनी रिपोर्ट को पिछले महीने ग्रामीण विकास मंत्रालय को सौंपा था और इसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है. जानकारी के मुताबिक सिन्हा पैनल ने यह भी सुझाव दिया है कि मनरेगा के तहत दिहाड़ी को बाजार दरों के करीब लाया जाए. साथ ही सालाना बढ़ोतरी के अलावा हर 5 साल में दिहाड़ी का पुनर्मूल्यांकन भी किया जाए. पैनल ने दिहाड़ी में सालाना बढ़ोतरी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (कृषि श्रम) से जोड़ने की मौजूदा व्यवस्था के बजाय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (ग्रामीण) से जोड़ने का भी प्रस्ताव दिया है.

बता दें कि हाल के वर्षों में सीपीआई (कृषि श्रम) की तुलना में सीपीआई (ग्रामीण) में ज्यादा महंगाई दिखी है. गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2024 के लिए सरकार नरेगा के तहत दिहाड़ी को एक साल पहले ही 2.2-10.4 फीसद की सीमा में बढ़ा चुकी है. विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए संशोधित मजदूरी वित्त वर्ष 2024 के लिए 221 रुपये रोजाना (छत्तीसगढ़/मध्य प्रदेश) से 357 रुपये (हरियाणा) है.

Published - August 4, 2023, 01:39 IST