देश से गेहूं के निर्यात पर लगी रोक को एक साल से ज्यादा हो गया है और जिस तरह के हालात हैं, उन्हें देखकर लग नहीं रहा कि गेहूं का निर्यात अगले एक साल तक खुल पाएगा. क्योंकि सरकार ने इस साल गेहूं की सरकारी खरीद के लिए जो लक्ष्य रखा था, उसके पूरा हो पाने की उम्मीद बिलकुल नहीं है, आशंका तो यहां तक है, कि खरीद लक्ष्य 80 फीसद भी पूरा नहीं होगा. ऊपर से मंडियों में गेहूं की कीमतें बढ़ना शुरू हो गई हैं और सरकार पर कीमतों को नियंत्रित रखने का दबाव है, जिस वजह से सरकार भी गेहूं का निर्यात खोलने की जल्दबाजी नहीं करेगी.
सरकार ने इस साल किसानों से 341.5 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है, 21 मई तक यह लक्ष्य 76 फीसद ही पूरा हो पाया है. 21 मई तक सरकारी एजेंसियो ने किसानों से 261.4 लाख टन गेहूं की खरीद की है. मंडियों में गेहूं की सीमित सप्लाई होने की वजह से सरकारी एजेंसियों को खरीद लायक गेहूं मिल नहीं पा रहा और खरीद की रफ्तार लगातार सुस्त पड़ती जा रही है. 14 मई के बाद 21 मई तक सरकारी एजेंसियों की कुल खरीद 4 लाख टन से भी कम रही है.
सरकार किसानों से जिस गेहूं की खरीद करती है उसका इस्तेमाल सरकार की अलग अलग राशन योजनाओं में सप्लाई के लिए होता है साथ में डिफेंस के लिए भी राशन इसी स्टॉक से जाता है. इस साल सरकारी एजेंसियों ने जितनी खरीद की है उससे राशन योजनाओं और अन्य सरकारी जरूरतों के लिए तो सप्लाई पूरी हो जाएगी, लेकिन जरूरत पड़ने पर खुले बाजार में गेहूं का स्टॉक जारी करने की गुंजाइश घट जाएगी.
खुले बाजार में जब भी गेहूं की कीमतें बढ़ती हैं तो सरकार ओपन मार्केट सेल स्कीम के जरिए अपने भंडार से गेहूं बेचती है. 2023 की शुरुआत में जब गेहूं का भाव आसमान पर पहुंचा था, तो सरकार ने खुले बाजार में गेहूं बेचा था, लेकिन वह तभी संभव हो पाया था, जब सरकार के पास पुरानी फसल का स्टॉक बचा हुआ था. इस बार खुले बाजार में गेहूं का भाव फिर से बढ़ना शुरू हो गया है, मंगलवार को दिल्ली में प्रति क्विंटल भाव 2425 रुपए था और मई में अबतक कीमतें करीब 6 फीसद बढ़ चुकी है. कीमतें अगर ज्यादा बढ़ीं तो सरकार के ऊपर खुले बाजार में गेहूं की सप्लाई बढ़ाने का दबाव होगा, और ऐसी स्थिति में सरकार खुले बाजार में गेहूं तब बेचेगी जब उसके पास पर्याप्त स्टॉक बचा होगा.
इस साल फरवरी और मार्च के दौरान देश में गेहूं का भाव 3000 रुपए प्रति क्विंटल के ऊपर चला गया था और मार्च के बाद सरकारी एजेंसियों ने 2125 रुपए के समर्थ मूल्य पर किसानों से गेहूं खरीद शुरू की. जिन किसानों ने 3000 रुपए के ऊपर का भाव देखा है, वे समर्थन मूल्य पर सरकार को गेहूं बेचने की जल्दबाजी में नहीं दिख रहे. यही वजह है कि इस साल गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य पूरा होता नजर नहीं आ रहा. हालांकि बाजार को अनुमान है कि किसानों के पास बड़ी मात्रा में गेहूं का स्टॉक बचा हुआ है, और भाव बढ़ने पर वे बाजार में स्टॉक उतार सकते हैं.