महंगाई को घटाने के लिए पिछले करीब डेढ़ साल से रिजर्व बैंक ने पॉलिसी को सख्त किया हुआ है. रिजर्व बैंक के फैसलों का असर दिखा भी. जो महंगाई दर 7 फीसद के ऊपर पहुंच गई थी वह मई में घटकर 4.31 फीसद पर आ गई. लेकिन महंगाई दर में आई इस गिरावट के बावजूद मसालों की महंगाई सालभर से ऊपरी स्तर पर थी और अब मसालों की वजह से महंगाई और भड़कने की आशंका है. अधिकतर मसालों की कीमत बढ़ रही है. यानी रिजर्व बैंक की पॉलिसी से मसालों की महंगाई का इलाज नहीं हो पाया है.
सालभर पहले थोक में जो जीरा 20 हजार रुपए प्रति क्विंटल के करीब बिक रहा था, उसका भाव अब 58 हजार रुपए के ऊपर है. काली मिर्च का भी कुछ ऐसा ही हाल हो गया है. पिछले साल अगस्त में काली मिर्च का थोक भाव 45 हजार रुपए के करीब था और अब भाव 60 हजार रुपए हो गया है. इस दौरान हल्दी की कीमतों में भी करीब 73 फीसद की तेजी आई है. अब इस कड़ी में इलायची भी जुड़ गई है. एक साल में इलायची की कीमतों में 100 फीसद से ज्यादा का उछाल आया है. केरल में पिछले साल अगस्त में इलायची का औसत नीलामी भाव 1000 रुपए से कम होता था और अब यह 2000 रुपए के करीब पहुंच गया है.
मसालों की महंगाई में हुई बढ़ोतरी की वजह से रिटेल महंगाई में उछाल आने की आशंका जताई जा रही है. अप्रैल में जब रिटेल महंगाई दर 4.7 फीसद थी उस समय उसमें मसालों की महंगाई 17.43 फीसद दर्ज की गई थी. बाद में मई के दौरान रिटेल महंगाई दर घटकर 4.31 फीसद पर तो आई लेकिन मसालों की महंगाई दर बढ़कर 17.9 फीसद पर पहुंच गई. जून में रिटेल महंगाई दर बढ़कर 4.8 फीसद तक चली गई और उसमें मसालों की महंगाई दर 19 फीसद से ज्यादा थी. संभावना है कि जुलाई के दौरान मसालों की महंगाई 20 फीसद के पार जा सकती है और मसालों की वजह से रिटेल महंगाई भी 6.5 फीसद के ऊपर पहुंचने की आशंका है जो करीब 6 महीने का ऊपरी स्तर होगा.
मसालों की इस महंगाई की वजह इनके उत्पादन में आई कमी की माना जा रहा है. इसके अलावा मसालों की निर्यात मांग में भी उछाल आया है जिस वजह से कीमतें बढ़ रही है. इस साल अप्रैल और मई के दौरान देश से 3.27 लाख टन से ज्यादा मसालों का निर्यात हो चुका है जबकि पिछले साल इस दौरान 2.34 लाख टन का ही एक्सपोर्ट हो पाया था. जिन मसालों का एक्सपोर्ट सबसे ज्यादा बढ़ा है उनमें जीरा, हल्दी, धनिया और लाल मिर्च शामिल हैं.