देश में कंप्यूटर, लैपटॉप और टैबलेट जैसे आईटी हार्डवेयर का इंपोर्ट करने वाली कंपनियों को छूट मिलने जा रही है. सरकार ने इंपोर्ट करने वाली सभी कंपनियों को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कहा है. रजिस्ट्रेशन के लिए लाइसेंस की बाध्यता नहीं होगी यानी कंपनियां रजिस्ट्रेशन कराने के बाद बेरोकटोक इंपोर्ट कर सकेंगी. माना जा रहा है कि भारत ने अमेरिका के दबाव में यह कदम उठाया है.
सरकार के इस कदम से बड़े ब्रांड्स को मिलेगी राहत
सरकार के द्वारा उठाए गए इस कदम से एचपी, डेल, एप्पल, सैमसंग, लेनोवो, आसुस, एसर समेत अन्य बड़े तकनीकी ब्रांड्स को राहत मिलेगी. मामले से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार इंपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम के हिस्से के रूप में सिर्फ उपकरणों के स्रोत और मूल्य की निगरानी करेगी. सरकार की ओर से कंपनियों को उनकी मांग पूरा करने के लिए उतने ही उपकरण को देश में लाने की अनुमति होगी जितने की उन्हें जरूरत होगी. अधिकारियों का कहना है कि कोटा और अन्य नियम बाद के चरण में या अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में लागू होंगे.
बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अधिकांश कंपनियां अगले साल 1 अप्रैल से आईटी हार्डवेयर 2.0 योजना के तहत विनिर्माण शुरू करेंगी. ऐसे में मांग और सप्लाई में अंतर रहेगा और इस अंतर को सिर्फ इंपोर्ट के जरिए ही पूरा किया जा सकता है. सरकार चाहती है कि आईटी हार्डवेयर 2.0 योजना के लिए पीएलआई सफल हो. बता दें कि 3 अगस्त को जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक सरकार ने देश में पर्सनल कम्प्यूटर, लैपटॉप और टैबलेट के आयात पर प्रतिबन्ध लगा दिया था. भारत के विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने घोषणा की थी कि 1 नवंबर, 2023 से बिना लाइसेंस के लैपटॉप, कंप्यूटर और उनके पार्ट्स के आयात को प्रतिबंधित कर दिया जाएगा. इस निर्धारित तारीख के बाद इन इलेक्ट्रॉनिक्स के आयात के लिए वैध लाइसेंस की जरूरत होगी. वहीं अब सरकार अपने फैसले से पीछे हटते हुए सभी कंपनियों को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कहा है.