पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती का इंतजार जल्द खत्म हो सकता है. मनी9 को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार ने ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को फिलहाल पेट्रोल-डीजल से कमाई करके बफर तैयार करने के लिए कहा गया है और आगामी विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले सरकार तेल कंपनियों को पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटाने के लिए बोल सकती है. उस समय अगर कच्चे तेल का भाव बढ़ा भी तो तेल कंपनियों के नुकसान की भरपाई पहले से तैयार बफर से हो जाएगी. पेट्रोल और डीजल की कीमतों में पिछले साल मई से बदलाव नहीं हुआ है.
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव इस साल नवंबर में होने हैं और चुनावों की घोषणा सितंबर अंत या अक्टूबर के दौरान हो सकती है. घोषणा से ठीक पहले सरकार तेल कंपनियों को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती का निर्देश दे सकती है.
पिछले साल फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद मार्च में कच्चे तेल का भाव 130 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर चला गया था, उसके बाद जुलाई तक लगातार कीमतें 100 डॉलर के ऊपर बनी रहीं. उस दौरान पेट्रोल-डीजल के दाम भी बढ़े थे लेकिन सरकार ने एक्साइज में कटौती करके कीमतों को घटाया था. हालांकि जुलाई 2022 के बाद कच्चे तेल की कीमतें घटना शुरू हुईं और पिछले महीने जून में भाव घटकर 72 डॉलर तक आ गया था. जुलाई 2022 से जून 2023 के दौरान कच्चे तेल का भाव घटने के बावजूद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती नहीं हुई और तेल कंपनियों ने भरपूर कमाई की. अब सरकार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले तेल कंपनियों को पेट्रोल-डीजल के भाव में कटौती के लिए कह सकती है.
पेट्रोल डीजल की बिक्री पर तेल कंपनियों को जो घाटा हुआ था उसकी भरपाई हो भी चुकी है और तेल कंपनियां मोटे मुनाफे पर बैठी हुई हैं. जून तिमाही के दौरान इंडियन ऑयल को 13750 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ है और भारत पेट्रोलियम ने भी 10644 करोड़ रुपए की कमाई की है. एक अनुमान के मुताबिक वित्तवर्ष 2023-24 के दौरान देश की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का कुल मुनाफा 1 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच सकता है. तेल कंपनियों की इस मजबूत बैलेंस सीट के आधार पर सरकार उन्हें विधानसबा चुनाव से पहले पेट्रोल-डीजल में कटौती के लिए कह सकती है.