देश में गेहूं की सप्लाई बढ़ाने के लिए गेहूं आयात की नौबत आ सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार रूस से 90 लाख टन गेहूं आयात के लिए डील करने पर विचार कर रही है. देश में गेहूं की महंगाई को घटाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं लेकिन मंडियों में भाव सरकार के तय किए गए समर्थन मूल्य से बहुत ऊपर चल रहा है. गुरुवार को दिल्ली में गेहूं का थोक भाव 2,510 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया है, जबकि समर्थन मूल्य 2,125 रुपए प्रति क्विंटल है.
घरेलू उत्पादन में कमी की चिंताओं के बीच सरकार द्वारा स्टॉक लिमिट लागू करने और खुले बाजार में व्यापारियों को अनाज की बिक्री से कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस से गेहूं इंपोर्ट की संभावना को लेकर चर्चा है. बता दें कि जून के महीने में अनाज एवं उत्पादों की महंगाई 16.3 फीसद थी. वित्त वर्ष 2024 में जून अंत तक थोक महंगाई दर 7.6 फीसद थी, जबकि वित्त वर्ष 2023 में थोक महंगाई 10.7 फीसद थी. क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 6 महीने में गेहूं, चावल और मोटे अनाजों की महंगाई दहाई अंक में पहुंच गई है.
उत्पादन में कमी का अनुमान
उत्पादन में कमी, स्टॉक में गिरावट और मांग में बढ़ोतरी की वजह से गेहूं की कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है. सरकार ने 2023 में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 112.7 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया है, जबकि कारोबारियों और मिलों को फरवरी-मार्च में देश के उत्तरी, मध्य और पश्चिमी मैदानी इलाकों में बेमौसम बरसात और मूसलाधार बारिश की वजह से गेहूं का उत्पादन 101-103 मिलियन टन रहने का अनुमान है. 2022 में मार्च में लू चलने की वजह से गेहूं का उत्पादन घटकर 107.7 मिलियन टन रह गया था, जबकि 2021 में उत्पादन का आंकड़ा 109.6 मिलियन टन था.
उत्पादन में कमी और मांग में बढ़ोतरी की वजह से गेहूं के स्टॉक में लगातार गिरावट आई है, जिससे कीमतों में मजबूती है. 1 जुलाई तक केंद्रीय पूल में 30.1 मिलियन टन गेहूं का स्टॉक है जो कि बफर स्टॉक 27.6 मिलियन टन से ज्यादा है. हालांकि जुलाई 2021 के बफर स्टॉक 60.3 मिलियन टन से केंद्रीय पूल का स्टॉक आधा है.