देश के छोटे और व्यापारियों को कारोबार बढ़ाने के लिए बड़ा मौका है. सरकार ने सभी बड़े और छोटे रिटेलर को ओपन नेटवर्क फोर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) में शामिल होने का निमंत्रण दिया है. उनका कहना है कि इससे बड़े अवसरों का निर्माण करने में मदद मिलेगी.
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने निमंत्रण देने के साथ ही कहा, “ONDC को सफल बनाने में दुनिया भर के वॉलमार्ट (Walmart) और फ्लिपकार्ट (Flipkart), टाटा (Tata) और रिलायंस (Reliance) जैसी तमाम कंपनियों की अहम भूमिका होगी. इसलिए हम सभी को इस सफर में शामिल होने का निमंत्रण देते हैं, यहां सब कुछ मुक्त और निष्पक्ष होगा, किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा. ये सब के लिए खुला है. ONDC कारोबार के लिए खुला है.” केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आने वाले वर्षों में ONDC ना केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में बड़ा बदलाव लाने वाला ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म साबित होगा.
क्या है ONDC?
ओएनडीसी एक ऐसा ई कॉमर्स मंच पर जिस पर व्यापारी अपने उत्पाद बिना किसी कमीशन के आसानी से बेच सकते हैं. इस मंच को सरकार ने विकसित किया है. इस पर स्थानीय और छोटे कारोबारियों को एक नेटवर्क इनेबल्ड ऐप्लिकेशन मिलता है. ओनडीसी का लक्ष्य ई-कॉमर्स रिटेलर्स के लिए एक ओपन प्लेटफॉर्म को बढ़ावा देना है जिससे छोटे कारोबारियों की उनके व्यापार को बढ़ाने में और इस क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों के वर्चस्व को कम करने में मदद मिलेगी. क्या होगा फायदा?
ओएनडीसी से होने वाले फायदों को आसान शब्दों में समझें तो इससे होगा यह कि छोटे कारोबारी और दुकानदार ग्रॉसरी, फूड ऑर्डर एवं डिलीवरी, होटल बुकिंग और ट्रैवल समेत तमाम कारोबारों में अपनी पहुंच बढ़ा पाएंगे. यानी ज्यादा लोगों तक पहुंच पाएंगे. पिछले साल 29 अप्रैल को पायलट मोड में ओएनडीसी की शुरुआत की गई थी. इस पायलट में करीब 150 रिटेलर ने हिस्सा लिया था.
कैसे काम करता है ONDC?
यह प्लेटफॉर्म मूल रूप से दो छोर पर काम करता है, इसके एक छोर पर सेलर यानी विक्रेता है और दूसरे छोर पर बायर यानी खरीदार. इसे एक उदाहरण से समझते हैं जहां एक तरफ सेलर साइड को Gofrugal और Digiit जैसी कंपनियां होस्ट करती हैं, तो दूसरी तरफ Paytm बायर साइड इंटरफेस होस्ट करती हैं. वहीं ONDC इन इंटरफेसेस के बीच में होता है. बानगी के तौर इस समय अगर कोई बायर कोई हेडफोन खरीदना चाहता है तो वह सबसे सस्ती डील पाने के लिए अलग-अलग ई-कॉमर्स ऐप्स या साइट्स पर सर्च करेगा. लेकिन अलग-अलग साइट के चक्कर काटने में समय लगता है और साथ ही बाजार पर प्रभुत्व बनाने के लिए Flipkart और Amazon महंगे प्रोडक्ट्स पर बड़े डिस्काउंट देती हैं. वे अपनी साइट पर मौजूद कुछ खास ऐप को तरजीह भी देते हैं.
वहीं जब वही बायर कोई ऐप खोलने के लिए ONDC का इस्तेमाल करता है, और उसपर हेडफोन सर्च करता है मान लीजिए कि यह ऐप Paytm है, तो बायर को ना केवल उस खास ऐप पर मौजूद सेलर्स दिखेंगे बल्कि दूसरे ऐप और आसपास के स्टोर्स पर मौजूद हेडफोन्स भी दिखने लगेंगे.
इसके अलावा ONDC पर आपको इंटरऑपरेटिबिलिटी की भी सुविधा मिलती है. मतलब एक ऐप से सामान ऑर्डर करें और दूसरा ऐप उसे डिलीवर करे.
मिसाल के तौर पर, आप कोई फूड ऑर्डर करना चाह रहे हैं लेकिन जोमैटो या स्विगी पर उसका डिलीवरी चार्ज ज्यादा दिखा रहा है, या दूरी होने की वजह से एक्स्ट्रा डिलीवरी चार्ज चल रहा है.. ऐसे में आप जोमैटो या स्विगी से खाना ऑर्डर कर सकते हैं और उसे डिलीवरी Dunzo जैसा कोई डिलीवरी ऐप या कोई और ऐप करेगा, या फिर रेस्टोरेंट आपको सीधे भी खाना डिलीवर कर सकता है.
जैसा कि हमने पहले भी बताया, ONDC केवल इलेक्ट्रॉनिक्स, फूड और कपड़ों तक सीमित नहीं है बल्कि इसमें ग्रॉसरी, सब्जियां और फल भी शामिल हैं. इसका मतलब है कि किराना स्टोर्स भी ONDC नेटवर्क का हिस्सा हो सकते हैं.
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