वैश्विक आर्थिक मंदी के खतरे के बीच कंपनियां भी अपने विस्तार योजना को टाल रही हैं. रियल एस्टेट सलाहकार कोलियर्स की रिपोर्ट ‘इंडिया ऑफिस मार्केट- चेंजिंग विंड्स’ इसी ओर इशारा कर रही हैं. देश के छह प्रमुख शहरों में इस कैलेंडर साल पट्टे पर कार्यालय स्थल की मांग 20 फीसद घटकर चार करोड़ वर्ग फुट पर आने की संभावना है. रियल एस्टेट सलाहकार कोलियर्स इंडिया ने बताया कि कंपनियां अपनी विस्तार योजनाओं को लेकर फैसले लेने में देरी कर रही हैं, जिससे कार्यालय स्थल की मांग पर असर पड़ेगा. कंपनियों की विस्तार योजना टालने की वजह से नए रोजगार सजृन पर भी प्रभाव पड़ेगा.
कोलियर्स ने बृहस्पतिवार को जारी अपनी रिपोर्ट ‘इंडिया ऑफिस मार्केट- चेंजिंग विंड्स’ में अनुमान लगाया है कि कैलेंडर साल 2023 में कार्यालय क्षेत्र को पट्टे पर लेने का कुल आंकड़ा 4-4.5 करोड़ वर्गफुट रहेगा, जो 2022 में 5.03 करोड़ वर्गफुट था. इस साल के पहले छह महीनों में पट्टे पर कार्यालय स्थल की मांग 2.47 करोड़ वर्गफुट रही है. दूसरी छमाही में इसके 1.53-2.03 करोड़ वर्गफुट रहने का अनुमान है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि छह प्रमुख शहरों में बेंगलुरु में कार्यालय स्थल की मांग 1.2-1.4 करोड़ वर्गफुट रहने का अनुमान है. दिल्ली-एनसीआर में यह 90 लाख से 1.1 करोड़ वर्गफुट और चेन्नई में 70-90 लाख वर्गफुट रहेगी. हैदराबाद, मुंबई और पुणे में पट्टे पर कार्यालय स्थल की मांग 40 से 60 लाख वर्गफुट के बीच रहेगी.
छंटनी का सहारा
वैश्विक मंदी के बीच अपनी लागत को पूरा करने के लिए कंपनियां छंटनी का सहारा भी ले रहा हैं. लेऑफ ट्रैकर layoffs.fyi के मुताबिक जून 2023 तक अलग-अलग भारतीय स्टार्टअप्स से करीब 11 हजार कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका था. ये 2022 से 40 फीसद ज्यादा है. हालांकि वैश्विक स्तर पर स्टार्टअप से होने वाली छंटनियों का यह केवल 5 फीसद था. वैश्विक स्तर पर स्टार्टअप्स से 2.1 लाख कर्मचारियों को बाहर निकाला जा चुका था.