बिजली मंत्री आर के सिंह ने मुफ्त बिजली देने के लिए उधार लेने वाले पंजाब जैसे राज्यों को कर्ज के जाल में फंसने की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि ऐसी लोकलुभावन योजनाएं तभी ठीक हैं, जब किसी राज्य के पास पर्याप्त धन उपलब्ध हो. उन्होंने कहा है कि किसी भी दूसरी चीज की तरह बिजली उत्पादन की लागत होती है, और अगर कोई राज्य इसे उपभोक्ताओं के एक वर्ग को मुफ्त में देता है, तो यह भी सोचना चाहिए कि उत्पादन संयंत्र को भुगतान भी करना होगा. अगर उत्पादन संयंत्र को भुगतान नहीं किया गया, तो बिजली उत्पादन नहीं हो पाएगा.
कर्ज वाले राज्य भी ले रहे लोकलुभावन उपायों का सहारा
सिंह ने कहा है कि वह राज्यों से कहते रहे हैं कि बिजली मुफ्त नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर कोई राज्य किसी भी श्रेणी के लोगों को मुफ्त बिजली देना चाहता है, तो वह ऐसा कर सकता है, लेकिन उन्हें इसके लिए भुगतान करना होगा. उन्होंने कहा कि जिन राज्यों पर पहले ही बहुत ज्यादा कर्ज है, वह भी ऐसे लोकलुभावन उपायों का सहारा ले रहे हैं, और उन्हें बिजली संयंत्रों को भुगतान करने के लिए अधिक कर्ज लेना पड़ रहा है. इसके चलते इस तरह के राज्य कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं.
पंजाब में आप ने पहले 2 साल में 47,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया
ऐसा करने वाले राज्यों के नाम पूछने पर उन्होंने पंजाब का नाम लिया है. उन्होंने कहा है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने पहले दो वर्षों में 47,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है और जिसकी वजह से राज्य के ऊपर कर्ज का बोझ और बढ़ गया है. उन्होंने कहा है कि अगर हालात को अभी भी संभाला नहीं गया, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए सड़क, अस्पताल और स्कूल आदि बनाने के लिए धन की उपलब्धता नहीं रहेगी, क्योंकि राज्य में जो भी राजस्व आएगा वह ऋण चुकाने में ही खर्च हो जाएगा.