मोजाम्बिक से तुअर और उड़द का इंपोर्ट बगैर किसी रोक-टोक के जारी रहेगा. भारत ने मोजाम्बिक के दलहन निर्यातकों से कहा है कि मार्च 2024 तक मात्रा पर किसी भी तरह की पाबंदी के बगैर भारत को इन दालों का आयात जारी रहेगा.
मापुटो में भारतीय उच्चायोग ने मोजाम्बिक में निर्यातकों को बताया कि भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने साफ किया है कि 31 मार्च 2024 तक तूअर दाल और उड़द का निर्यात मुक्त श्रेणी में जारी रहेगा.
मापुटो में भारत के उच्चायोग ने मोजाम्बिक में एक्सपोर्ट्स को बताया कि भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत 31 मार्च 2024 तक ‘मुक्त श्रेणी’ (OGL) के तहत तुअर और उड़द का इंपोर्ट करेगा. निर्यातक 31 मार्च 2024 तक बिना किसी ऊपरी सीमा के भारत को तुअर का एक्सपोर्ट कर सकते हैं.
बता दें कि मोजाम्बिक से भारत को न्यूनतम 2 लाख टन तुअर की खरीद को सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के बीच एक एमओयू पर साइन किए गए थे. नवंबर 2020 में इसका नवीनीकरण किया गया था. हालांकि भारतीय उच्चायोग ने इस बात पर जोर दिया है कि अब 31 मार्च 2024 तक भारत द्वारा तुअर की फ्री इंपोर्ट पॉलिसी के तहत पुराने समझौतों की कोई अहमियत नहीं रह गई है.
तुअर पर इंपोर्ट ड्यूटी हटी
गौरतलब है कि सरकार ने तुअर के इंपोर्ट लगने वाली 10 फीसद ड्यूटी को भी हटा दिया है. 3 मार्च 2023 से यह आदेश प्रभावी हो चुका है. सरकार के इस कदम से आयातकों को ड्यूटी फ्री प्रिफरेंशियल ट्रीटमेंट स्कीम का फायदा उठाने के लिए मूल देश का प्रमाण पत्र पेश करने की जरूरत नहीं होगी.
घट गया रकबा
अनियमित और ज्यादा बारिश की वजह से पिछले साल खरीफ सीजन में तुअर और उड़द के उत्पादन पर असर पड़ा था. वहीं चालू फसल सीजन में मानसून में देरी की वजह से प्रमुख तुअर उत्पादक राज्यों कर्नाटक और महाराष्ट्र में बुआई में कमी देखने को मिल रही है. ताजा बुआई के आंकड़ों के मुताबिक 28 जुलाई तक देशभर में तुअर का रकबा घटकर 31.51 लाख हेक्टेयर रह गया है, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह आंकड़ा 37.50 लाख हेक्टेयर था. उड़द का रकबा भी घटकर 25.83 लाख हेक्टेयर रह गया है, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 30.06 लाख हेक्टेयर में उड़द की बुआई हुई थी.