भारत की 5G सेवाओं की समस्याओं को देखते हुए आने वाले समय में दूरसंचार नियमों में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. इसके तहत 5G सेवाओं की क्वालिटी दुरुस्त करने के लिए जरूरी मैट्रिक्स, वीडियो स्ट्रीमिंग-कॉलिंग और कॉल में कोई रुकावट न हो इसके लिए सख्त नियम बनाए जाएंगे. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने इस मामले पर दूरसंचार ऑपरेटरों (Telecom Operators) के साथ बातचीत पूरी कर ली है. उम्मीद जताई जा रही है कि दूरसंचार नियामक अगले दो महीने के भीतर 5G सेवाओं की क्वालिटी सुधारने के लिए नए और सख्त नियम का ऐलान कर सकता है.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, दूरसंचार नियामक 4G सेवाओं के लिए मौजूदा क्वालिटी स्टैंडर्स में भी संशोधन करेगा. भारत में 5G लॉन्च हुए 18 महीने बीत चुके हैं. लॉन्च से अब तक यानी 18 महीनों में दूरसंचार कंपनियों ने अपने लगभग 20 करोड़ यूजर्स को अपने 5G नेटवर्क से जोड़ा है.
वर्तमान में देश में 5G के परफॉरमेंस और नेटवर्क क्वालिटी की जांच के लिए कोई स्टैंडर्ड यानी मानक नहीं बनाए गए हैं. 5G यूजर्स को खराब कॉल क्वालिटी, कॉल ड्रॉप, कॉल म्यूटिंग, फ़ोन सेटिंग्स एक्टिव करने के बावजूद 5G से कनेक्ट करने में दिक्कत आ रही है. साथ ही यूजर्स को 5G की स्पीड में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस रिपोर्ट के अनुसार, एक अधिकारी ने बताया कि हम कुछ बेंचमार्क देख रहे हैं, जिसके आधार पर हम वॉयस कॉल से संबंधित सभी तरह की समस्याओं जैसे- कॉल ड्रॉप, कॉल में देरी, आवाज में रुकावट जैसी दिक्कतों को पकड़ सकेंगे.
अधिकारी ने कहा कि पैकेट ड्रॉप के कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं जिसे जल्द से जल्द दूर करने की जरूरत है. पैकेट ड्रॉपिंग का मतलब है कि किसी नेटवर्क पर किसी स्पेसिफिक सोर्स से डेस्टिनेशन तक जाने वाली छोटी डेटा यूनिट्स का लॉस होना है. यह छोटी सी प्रॉब्लम नेटवर्क के ओवरआल प्रदर्शन को प्रभावित करती है. पैकेट ड्राप होने से ग्राहकों को कॉल्स से संबंधित कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
ट्राई पहली बार अपने पैरामीटर्स में जिटर्स को शामिल करेगा, जिससे डेटा फ्लो में होने वाली उतार-चढ़ाव की निगरानी की जा सकेगी. नियामक ने कहा कि यह पैरामीटर टाइम-क्रिटिकल एप्लीकेशन जैसे- वीडियो कॉल और हाई क्वालिटी वाले वीडियो स्ट्रीमिंग के लिए महत्वपूर्ण है.
TRAI ने कहा है कि नियामक का लक्ष्य एक महीने में 4G और 5G दोनों नेटवर्क के लिए 100 मिलीसेकंड से कम की एवेरेज लेटेंसी लागू करना है. इसमें यह भी कहा गया है कि इसमें जिटर्स 50 मिलीसेकंड से कम होने चाहिए और कॉल ड्रॉप दर 2 फीसद से कम होनी चाहिए. वर्तमान में, लेटेंसी बेंचमार्क 250 मिलीसेकंड से कम है.
मसौदे में, नियामक ने दूरसंचार कंपनियों के लिए कंप्लायंस मैकेनिज्म में भी संशोधन किया है, जो त्रैमासिक रिपोर्टिंग आधार से मासिक रिपोर्टिंग पर आ जाएगा. यानी अब तीन महीने में दी जाने वाली रिपोर्टिंग हर महीने दी जाएगी.
इसमें यह भी कहा गया है कि यदि टेलीकॉम ऑपरेटर 4G और 5G के लिए आने वाले बेंचमार्क को पूरा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें प्रति बेंचमार्क 3,00,000 रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. इसके अलावा, गलत रिपोर्टिंग की स्थिति में टेलीकॉम कंपनियों को प्रति बेंचमार्क 10,00,000 रुपये तक जुर्माना देना पड़ सकता है.
टेलीकॉम कंपनियां 5G के नए पैरामीटर्स से सहमत नहीं हैं. जियो द्वारा ट्राई को दिए गए अपने रिप्रजेंटेशन में कहा गया है कि रिपोर्टिंग फॉर्मेट से 5जी-संबंधित पैरामीटर्स को हटाने से आर्गेनिक डेवलपमेंट और सेवाओं के विस्तार में मदद मिलेगी. टेलीकॉम ऑपरेटर ने कहा कि सेवाओं की क्वालिटी रेगुलेशन में बड़े पैमाने पर बदलाव की कोई जरूरत नहीं है.
टेलीकॉम कंपनियों ने यह भी कहा है कि सर्विस क्वालिटी से संबंधी समस्याएं भौतिक घटकों या हार्डवेयर के खराब प्रदर्शन के कारण उत्पन्न होती हैं. उन्होंने ट्राई से त्रैमासिक से मासिक डेटा रिपोर्टिंग में बदलाव न करने की भी अपील की है.
दूरसंचार कंपनी एयरटेल ने ट्राई को बताया कि टनल सेटअप प्रोटोकॉल (टीएसपी) के बाहर कई बाहरी कारक भी हैं, जैसे कि अवैध रिपीटर्स, बूस्टर और जैमर, आरओडब्ल्यू के मुद्दे, नगर निगम के मुद्दे जो साइटों की सीलिंग का कारण बनते हैं. ईएमएफ (विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र) पैरामीटर पर एक बहुत ही सख्त नीति है जो कवरेज क्षेत्र को सिमित करती है. ईएमएफ के डर से कई राज्यों या इलाकों में परिचालन साइटों को बार-बार सील/बंद कर दिया जाता है.