बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने खुलासा जरूरतों को सुव्यवस्थित करने के लिए नए नियम जारी किए हैं. बाजार पूंजीकरण के हिसाब से अभी शीर्ष 100 सूचीबद्ध कंपनियों को उनकी कंपनी के बारे में फैली किसी भी अफवाह की पुष्टि, खारिज या स्पष्टीकरण देना अनिवार्य होगा. शीर्ष 100 कंपनियों के लिए एक अक्टूबर से ये नियम लागू हो जाएंगे. इसके बाद एक अप्रैल, 2024 से ये नियम शीर्ष 250 कंपनियों के लिए लागू होंगे.
सेबी की अधिसूचना के अनुसार इन कंपनियों को मेनस्ट्रीम मीडिया के ज़रिए निवेश करने वाले लोगों में फैल रही किसी जानकारी या अफ़वाह के बारे में 24 घंटे के भीतर उसकी पुष्टि, खारिज या स्पष्टीकरण देना होगा. इसके अलावा सूचीबद्ध कंपनियों में कॉरपोरेट प्रबंधन को मजबूत करने के लिए सेबी ने विशेष अधिकारों का लाभ उठा रहे कुछ शेयरधारकों का मुद्दा सुलझाने के लिए एक फ्रेमवर्क भी तैयार किया है.
मार्केट रेगुलेटर ने कहा कि शेयरधारकों के समझौते इस तरह से तैयार किए जाते हैं कि वे विशेष अधिकार (नामांकन अधिकार) संस्थाओं में उनकी हिस्सेदारी के कमजोर पड़ने के बाद भी उपलब्ध रहेंगे. इससे शेयरधारक ऐसे विशेष अधिकारों का हमेशा के लिए लाभ ले पाएंगे. ये किसी कंपनी में किसी की होल्डिंग के अनुपात में अधिकारों के सिद्धांत के खिलाफ है.
नियामक ने सूचीबद्ध संस्थाओं को तिमाही कॉर्पोरेट रिपोर्ट में न्यायिक प्राधिकरण को जुर्माना, साइबर सुरक्षा घटनाओं, साइबर सुरक्षा उल्लंघनों या डेटा और दस्तावेजों के नुकसान के संबंध में खुलासा करने के लिए भी कहा है. इन नियमों को प्रभावी बनाने के लिए सेबी ने लिस्टिंग से जुड़े नियमों को भी स्पष्ट किया है. इसका मकसद बाजार में निवेशकों के हितों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है.
आईपीओ के जरिए धन जुटाने की योजना बनाते समय सभी कंपनियों को अपने दायित्व और खुलासे से जुड़ी व्यवस्था (एलओडीआर) को प्रस्तुत करना ज़रूरी होता है. कई ऐसी कंपनियां हैं जो फैसले तो लेती हैं लेकिन इनका खुलासा एक्सचेंजों को नहीं किया जा रहा है. सेबी इन सभी मुद्दों का समाधान करना चाहता है.