गुरुवार को केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 पेश कर दिया है. बिल में निजी डेटा के वैध संग्रह, प्रसंस्करण और सुरक्षा की रूपरेखा तैयार की गई है. साथ ही उल्लंघन के मामले में 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगाया गया है. बिल के अनुसार डिजिटल प्लेटफॉर्म को अपने डेटा को संसाधित करने के लिए यूजर्स से बिना शर्त स्पष्ट और सरल भाषा में मुफ्त, विशिष्ट और लिखित सहमति लेने की जरूरत होगी. हालांकि कुछ खास मामलों में जैसे मेडिकल इमरजेंसी, आपदा, कोर्ट ऑर्डर्स और सरकारी एजेंसियों द्वारा डेटा की प्रोसेसिंग के लिए यूजर्स की सहमति की जरूरत नहीं है.
विपक्षी सदस्यों ने जताया विरोध
हालांकि विपक्षी सदस्यों की ओर से इस विधेयक को लेकर कड़ा विरोध जताया गया है. विपक्षी सदस्यों का कहना है कि इस विधेयक से निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता है. बता दें कि पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019 को वापस लिए जाने के 1 साल के बाद इस बिल को पेश किया गया है.
गौरतलब है कि सरकार की ओर से व्यक्तिगत आंकड़ों की सुरक्षा के लिए रूपरेखा तैयार करने का यह दूसरा प्रयास है. डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र पर एक व्यापक कानूनी ढांचे की दिशा में संसद की एक संयुक्त समिति की ओर से 81 संशोधन और 12 सुझावों की सिफारिश की गई थी. सरकार ने इसके बाद पिछले साल अगस्त में पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019 के पुराने संस्करण को वापस ले लिया था.
नवंबर 2022 में मसौदा विधेयक का नया संस्करण जारी किया गया था. इस विधेयक में शामिल शर्ते और नियम देश के बाहर डेटा के प्रोसेसिंग पर भी लागू होंगी. बिल में पर्सनल डेटा इकठ्ठा करने वाली कंपनियों को रेग्युलेट करने, व्यक्तियों के डेटा अधिकारों की सुरक्षा और एक डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड के जरिए उचित प्रवर्तन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जरूरी बदलावों और प्रावधानों को शामिल किया गया है.