Minimum Wage: सरकार मिनिमम वेज कानून में बदलाव करने जा रही है. श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए सरकार मिनिमम वेज (Minimum Wage) की जगह लिविंग वेज (Living Wage) सिस्टम लाएगी. दरअसल, कंपनियों की तरफ से इस कानून के कई विकल्प तलाश लिए गए थे, जिससे श्रमिकों के वेतन का स्तर उठ नहीं पा रहा था. ऐसे में सरकार अब नया कानून ला रही है. नए कानून से श्रमिकों को वेतन के मामले में फायदा होगा. लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाने को लेकर कानून व्यवस्था में बदलाव की मांग की जा रही है.
कब आएगा नया नियम?
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाईजेशन (ILO) ने श्रमिकों के वेतन को बढ़ाने के लिए लिविंग वेज सिस्टम लाने की मांग कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में जल्दी ही मिनिमम वेज सिस्टम की जगह लिविंग वेज सिस्टम लागू करेगा. श्रमिकों की सैलरी को लेकर लगातार बहस होती रहती है. भारत में लगभग 50 करोड़ श्रमिक हैं, जिसमे से 90 प्रतिशत से ज्यादा श्रमिक असंगाथिक क्षेत्र में काम करते हैं. इन मजदूरों को बहुत कम वेतन मिलता है. इनके वेतन को बढ़ाने के लिए देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजदूर संघ की तरफ से लगातार मांग की जा रही है. बताया जा रहा है कि 2025 तक इस कानून की प्रक्रिया में बदलाव शुरू हो जाएंगे.
क्या होती है न्यूनतम मजदूरी?
भारत में इस समय न्यूनतम मजदूरी कानून लागू है. इस कानून में मजदूरों की सैलरी प्रति घंटे के हिसाब से तय की जाती है. इसके लिए हर घंटे के काम के लिए न्यूनतम वेतन तय की गई है. यानी किसी भी मजदूर की सैलरी इस तय की गई रकम से कम नहीं हो सकती है. हालांकि अमेरिका की अपेक्षा भारत में न्यूनतम मजदूरी बहुत कम है. अमेरिका में न्यूनतम मजदूरी 7.25 डॉलर यानी 605.26 रुपये है जबकि भारत में यह 49.37 रुपये से लेकर 62.87 रुपये तक है. दरअसल, भारत में हर राज्य में अलग-अलग न्यूनतम मजदूरी की रकम तय की गई है. इतना ही नहीं, कई जगह मजदूरों को इस मामूली से वेतन स्तर से भी कटौती कर के पगार दिए जाते हैं और कानून में सख्ती न होने के चलते सरकार भी इसके खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाती है.
नए सिस्टम में क्या बदलेगा?
नए नियम यानी लिविंग वेज में श्रमिकों के न्यूनतम वेतन से लेकर बाकी के जरूरी चीजों को भी शामिल किया जाता है. उचित रहन-सहन, शिक्षा और उसके परिवार को सामाजिक सुरक्षा के साधन भी देने पर भी ध्यान दिए जाते हैं. लिविंग वेज सिस्टम में कामगारों के लिविंग स्तर को बढ़ने के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है, उन सभी बिंदुओं को शामिल किया जाता है. यानी कुल मिलकर यह मिनिमम वेज कानून के तहत आने वाले रोटी, कपड़ा और मकान से कहीं आगे है.
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