चीनी को लेकर सरकार की चिंता बढ़ गई है. उत्पादन में गिरावट के अनुमानों के बीच इसकी खुदरा कीमतों में उछाल का जोखिम बन गया है. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए सरकार न चाहते हुए भी चीनी के निर्यात पर रोक लगाने की तैयारी में है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार मंत्रियों की एक समिति ने चीनी मिलों की ओर से निर्यात की जाने वाली चीनी की खेप पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है. इस समिति में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल शामिल हैं. गोयल के पास उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग हैं. बताया जा रहा है कि चीनी के निर्यात के मुद्दे पर 27 अप्रैल को बैठक आयोजित की गई. चीनी के शिपमेंट पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना बहुत जल्द जारी होने के आसार हैं.
चिंता की वजह
चीनी वर्ष 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) में देश का चीनी उत्पादन 327 लाख टन रहने का अनुमान है. पिछले साल इस अवधि में 359 लाख चीनी का उत्पादन हुआ था. हालांकि चीनी की घरेलू खपत 275 लाख टन है. इस मांग को पूरा करने के लिए वर्तमान में पर्याप्त चीनी उपलब्ध है. लेकिन सरकार इस साल दो राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले साल अप्रैल तक होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले महंगाई के मोर्चे पर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 28 अप्रैल को चीनी का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य 42.24 रुपए प्रति किलोग्राम था जो एक साल पहले के 41.31 रुपए के स्तर से थोड़ा अधिक था. चालू सीजन के दौरान मिलों ने अब तक लगभग 58 लाख टन चीनी निर्यात के लिए डिस्पैच की है.
क्या है अनुमान
निजी चीनी मिलों के संगठन इस्मा (ISMA) ने चीनी वर्ष 2022-23 के लिए चीनी के उत्पादन अनुमान में एक बार फिर से कटौती की है. नए अनुमान में इस्मा ने इस साल 328 लाख टन चीनी उत्पादन होने का अनुमान लगाया है. इससे पहले जनवरी में जो अनुमान जारी हुआ था उसमें 340 लाख टन उत्पादन का अनुमान था. पिछले साल अक्टूबर में जब पहला अनुमान आया था तो देश में 365 लाख टन चीनी उत्पादन होने की संभावना जताई गई थी. चीनी वर्ष 2021-22 के दौरान देश में कुल 359 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था. इस साल 15 अप्रैल तक देश में 311 लाख टन चीनी पैदा हुई है.
चीनी का कितना स्टॉक
वर्तमान में देश में चीनी की आपूर्ति को लेकर को चिंता की बात है. इस साल कुल 328 लाख उत्पादन होने का अनुमान है जबकि 55 लाख टन का पुराना स्टाक है. इस तरह कुल 383 लाख टन स्टॉक हो जाएगा. इसमें से 60 लाख टन का निर्यात हो चुका है. इस तरह देश में चीनी की उपलब्धता 323 लाख टन रहेगी. चीनी की सालाना घरेलू खपत 275 लाख टन है. खपत के बाद भी 48 लाख टन चीनी का अतिरिक्त स्टॉक रहेगा. माना जा रहा है कि सरकार आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाए रखने के लिए अतिरिक्त भंडार को सुरक्षित रखेगी. इस वजह से घरेलू बाजार में आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव आने की कोई आशंका नहीं है. आम चुनावों से पहले देश में चीनी की कीमतें स्थिर रहें, इसलिए सरकार निर्यात के मोर्चे पर एहतियात बरत रही है.
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