उर्वरक, रसोई गैस और खाद्य सुरक्षा पर बढ़ते खर्च के कारण इस वित्त वर्ष में भारत का कुल सब्सिडी बिल 50,000 करोड़ रुपए तक बढ़ सकता है. सरकार को उम्मीद है कि वह अपने 45 लाख करोड़ के वित्त वर्ष 2024 के बजट में अन्य मदों के तहत किए गए बचत से इस उच्च खर्च को पूरा करेगी. गौरतलब है कि सरकार ने FY24 के लिए सब्सिडी व्यय का बजट 4.03 लाख करोड़ रुपए रखा था, लेकिन रसोई गैस, फ्री राशन और उर्वरक सब्सिडी के चलते यह 4.53 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ सकता है. हालांकि इस साल का बढ़ा हुआ खर्च, पिछले वित्त वर्ष में बढ़े हुए खर्च 5.62 लाख करोड़ के सब्सिडी बिल से काफी कम होगा.
कितना बढ़ा अतिरिक्त खर्च?
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस संशोधित अनुमान में खाद्य, उर्वरक और एलपीजी सब्सिडी बढ़ने के कारण सब्सिडी बिल में 50,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा, जिसे अन्य मदों में होने वाली बचत से पूरा किया जाएगा. इस वर्ष उर्वरक सब्सिडी में सबसे तेज वृद्धि देखी जा रही है. FY24 के लिए उर्वरक सब्सिडी बजट 175,100 करोड़ रुपए से 25,000 करोड़ रुपए बढ़ सकता है. वहीं, खाद्य और रसोई गैस सब्सिडी में क्रमशः 15,000 करोड़ और ₹10,000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हो सकती है. अधिकारी का कहना है कि इस वित्तीय वर्ष कुल व्यय भले ही अधिक है लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में राहत भी है. अधिकारी ने कहा कि उर्वरक सब्सिडी में धांधली रोकने से इस वर्ष अतिरिक्त खर्च में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है.
किस योजना का कितना बजट?
वित्त वर्ष 2023 में, केंद्र ने उर्वरक सब्सिडी के लिए 1.05 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा था, जिसे रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उर्वरक की कीमतों में तेज बढ़ोतरी के बीच संशोधित कर 2.54 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया था. वहीं, पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले, लगभग 96 मिलियन कम आय वाले परिवारों के लिए रसोई गैस सब्सिडी को 300 रुपये प्रति सिलेंडर तक बढ़ाने से एलपीजी सब्सिडी बिल पहले ही बढ़ गया है. केंद्र सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में एलपीजी सब्सिडी के लिए 2,257 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. खाद्य सब्सिडी, जो वित्त वर्ष 2013 में 2.87 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी, इस वित्तीय वर्ष में 1.97 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है. हालाँकि, उच्च खरीद लागत और मुफ्त राशन योजना के विस्तार से इस वित्तीय वर्ष में कुल बिल में 15,000 करोड़ रुपये का इजाफा हो सकता है.
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