कुछ FPI को खुलासा नियमों से मिल सकती है ढील

सेबी ने बिना प्रवर्तक समूह के इकाइयों में केंद्रित हिस्सेदारी रखने वाले कोषों को भी छूट का प्रस्ताव किया है

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भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कुछ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिए बढ़ी हुई खुलासा जरूरत से संबंधित नियमों में ढील देने का प्रस्ताव किया है. बाजार नियामक का मानना है कि इससे कारोबार सुगमता की स्थिति को बेहतर किया जा सकेगा. इसके अलावा अपने परामर्श पत्र में सेबी ने श्रेणी एक के विश्वविद्यालय कोषों और विश्वविद्यालय से संबंधित ऐसे ‘एंडाउमेंट’ एफपीआई को छूट देने का सुझाव दिया है जो विशिष्ट मानदंडों को पूरा करते हैं.

सेबी ने 8 मार्च तक सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी

इसके अलावा सेबी ने बिना प्रवर्तक समूह के इकाइयों में केंद्रित हिस्सेदारी रखने वाले कोषों को भी छूट का प्रस्ताव किया है. यह छूट ऐसे मामलों में होगी जहां न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता की जरूरतों के उल्लंघन का जोखिम नहीं होगा. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने प्रस्तावों पर आठ मार्च तक सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं.

स्वामित्व, नियंत्रण वाली इकाइयों का ब्यौरा मांगा था

पिछले साल अगस्त में सेबी ने एफपीआई से कहा था कि वे उनमें किसी तरह का स्वामित्व, आर्थिक हित या नियंत्रण रखने वाली इकाइयां का ब्योरा दें और इसके लिए कोई सीमा तय नहीं की गई थी. अपने परामर्श पत्र में, सेबी ने कुछ शर्तों के तहत श्रेणी एक एफपीआई के रूप में पंजीकृत विश्वविद्यालय कोष और विश्वविद्यालय से संबंधित ‘एंडाउमेंट’ को खुलासा आवश्यकताओं से छूट देने का सुझाव दिया है.. इसके लिए शर्त यह है कि संबंधित विश्वविद्यालय नवीनतम उपलब्ध क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग के अनुरूप शीर्ष 200 में होना चाहिए. ऐसे कोषों का भारत में इक्विटी एयूएम उनके वैश्विक एयूएम (AUM) के 25 प्रतिशत से कम होना चाहिए.

उचित रिटर्न दाखिल करना जरूरी

वैश्विक स्तर पर उनके प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां (एयूएम) 10,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए. इसके अलावा यह भी जरूरी है कि उन्होंने अपने संबंधित क्षेत्र के कर अधिकारियों के पास उचित रिटर्न दाखिल किया है.

Published - February 28, 2024, 03:13 IST