सोशल मीडिया पर बच्चों के एकाउंट्स को वेरिफाई करने के लिए डिजिलॉकर में पड़े बच्चों के पेरेंट्स के डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल हो सकता है. सरकार इस तरह की व्यवस्था बनाने पर काम कर रही है. फेसबुक, इंस्टाग्राम या यूट्यूब पर बने बच्चों के एकाउंट्स को वेरिफाई करने के लिए डिजिलॉकर के डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल हो सकता है. नए डेटा प्रोटेक्शन बिल के तहत 13 साल से ऊपर के बच्चे सोशल मीडिया पर एकाउंट्स खोल सकते हैं.
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) अधिनियम 2023 के अनुसार, नाबालिगों को 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है. हालांकि कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 13 वर्ष से अधिक उम्र के यूजर्स को इसके इस्तेमाल की अनुमति देते हैं. ऐसे में नए आदेश के तहत भारत में इंटरनेट एप्लिकेशन्स को 13 से 18 वर्ष की आयु के उपयोगकर्ताओं के लिए बच्चे और माता-पिता दोनों की पहचान करनी होगी. साथ ही अभिभावक की सहमति हासिल करनी होगी.
कैसे काम करेगा नया सिस्टम?
एक बार जब माता-पिता सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ जानकारी साझा करने के लिए सहमत हो जाते हैं, तो उन्हें एक वन टाइम पासवर्ड दर्ज करना होगा. यह सहमति माता-पिता के कंसेंट रिकॉर्ड में दर्ज की जाएगी. माता-पिता और बच्चे के ओटीपी का मिलान करने के बाद ही बच्चा ऐप का इस्तेमाल कर सकेगा. हालांकि लिंकिंग को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है, इस पर काम किया जा रहा है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डेटा शेयर से होने वाले जोखिमों को ध्यान में रखते हुए डिजीलॉकर का सहारा लिया जा रहा है. इसमें बच्चों और उनके माता-पिता के आधार कार्ड की कॉपी सुरक्षित रखी जाएगी. डिजीलॉकर के माध्यम से पहचान और माता-पिता की सहमति सत्यापित की जाएगी. डिजीलॉकर में एक सहमति दस्तावेज स्थापित किया जाएगा, जो टीकाकरण प्रमाणपत्र या ड्राइविंग लाइसेंस जैसा होगा. नया नियम लागू होते ही यह सुविधा चालू हो जाएगी. वर्तमान में डिजीलॉकर का उपयोग 180 मिलियन उपयोगकर्ता कर रहे हैं, जिसमें रोजाना 500,000 नए उपयोगकर्ता जुड़ रहे हैं.
Published August 23, 2023, 17:18 IST
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