विशेष स्थिति फंड (SSFs) का दुरुपयोग रोकने के लिए बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. इसके तहत डिफॉल्टर अपनी कंपनियों में चोरी-छिपे खरीदारी करने के लिए SSFs का गलत इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. बाजार नियामक ने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि यदि डिफॉल्टर एसएसएफ में निवेश करता है तो फंड को ऐसी कंपनी में निवेश नहीं करना चाहिए जहां निवेशक प्रमोटर या शेयरधारक हो.
सेबी ने कहा कि एआईएफ नियम के तहत अगर कोई निवेशक आईबीसी (दिवालिया और दिवालियापन संहिता) की धारा 29 ए के संदर्भ में अयोग्य घोषित होता है तो एसएसएफ में वह किसी संपत्ति में निवेश या अधिग्रहण नहीं करेगा. आईबीसी की धारा 29ए डिफॉल्ट करने वाले प्रमोटरों या उनके रिश्तेदारों को अपनी कंपनी या किसी अन्य कंपनी का अधिग्रहण करने से रोकती है. निवेश की इजाजत उन्हें तभी मिलती है जब तक कि वे अपना पूरा अवैतनिक ऋण नहीं चुका देते. एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी का कहना है सेबी का कदम एआईएफ रूट का उपयोग करके बैंकों से भारी छूट पर संपत्ति हासिल करके डिफॉल्ट करने वाले प्रमोटरों को अपनी कंपनियों पर नियंत्रण हासिल करने से रोकने के लिए है.
बता दें एसएसएफ वे फंड हैं जो संकटग्रस्त ऋण होते हैं और सेबी उन्हें वैकल्पिक निवेश फंडों की उपश्रेणी के रूप में बांटता है. बाजार नियामक ने एसएसएफ के संचालन पर सख्त नियंत्रण का लक्ष्य रख रहा है. उसने सुझाव दिया है कि एसएसएफ डेटा साझा करें और आरबीआई इसकी निगरानी करें. डेटा-शेयरिंग में निवेशकों, प्रबंधकों/प्रायोजकों, निवेशित संपत्तियों और वित्तपोषण की जानकारी शामिल होगी. जरूरत पड़ने पर आरबीआई को सीधे एसएसएफ से जानकारी मंगाने में सक्षम बनाने के लिए जरूरी धाराएं भी शामिल की जा सकती है. एसएसएफ भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से अधिसूचित व्यापार रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को जानकारी देगा.