कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी ने दावा किया है कि उसने जो नए नियम बनाए हैं उनसे FPI के असल निवेशकों की पहचान आसान हो गई है. अदानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट को दिए एक हलफनामे में सेबी ने यह दावा किया है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह पूरे हालात को जानना चाहेगा कि आखिर यह नियम क्यों बदले गए. इस बीच याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने SEBI के जांच के तरीके पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
वादी पक्ष के वकील प्रशांतभूषण ने कहा कि सेबी जिस तरह से जांच कर रहा है उससे ऐसा लगता नहीं कि जल्दी किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकेगा. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस मामले की जांच के लिए SEBI को और मोहलत मिलेगी?
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सवाल किया कि इस मामले की जांच में क्या प्रगति है? इसके बारे में SEBI की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ‘जांच फुल स्पीड से चल रही है.’
कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए SEBI को 14 अगस्त तक का समय दिया है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 14 अगस्त को ही करेगा.
चीफ जस्टिस (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने सेबी से कहा कि वह यह जानना चाहेंगे कि आखिर किन हालात में नियम बदलने पड़े थे.
सेबी पर क्या सवाल उठाए गए?
सेबी के प्रतिवादी पक्ष यानी याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने SEBI के काम करने के तरीके पर सवाल उठाए. प्रशांत भूषण ने कहा कि सेबी ने हलफनामा सोमवार को दाखिल किया और यह कोर्ट को नहीं मिला लेकिन पूरे मीडिया में इसकी कवरेज आ गई. इसे इतने देर से फाइल किया गया कि खंडपीठ को सोमवार को यह नहीं मिल पाया. एक्सपर्ट कमिटी ने कहा है कि सेबी जिस तरह से जांच कर रहा है, उससे इस मामले में कहीं नहीं पहुंचा जा सकता. प्रशांत भूषण ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कमिटी ने इस आधार पर यह बात कही है कि सेबी ने पारदर्शी ढांचे की परिभाषा बदल दी है. रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन की परिभाषा बदली है ताकि ऐसे फ्रॉड के खुलासे को रोका जा सके.
कोर्ट ने मांगी सॉफ्ट कॉपी
सेबी ने सोमवार को 43 पेज का हलफनामा दिया था. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसकी सॉफ्ट कॉपी याचिकाकर्ताओं को दी जाए और इसे अपलोड भी किया जाए. अदानी मामले पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि विदेशी फंड्स की ऑनरशिप का पता करने के लिए सेबी ने 2019 के दौरान नियमों में जो बदलाव किया था उससे ओनरशिप का पता करने में कोई दिक्कत नहीं आ रही. सेबी ने अपने हलफनामे में यह भी बताया है कि पुराने निमय के तहत विदेशी फंड की ओनरशिप का पता करना मुश्किल होता था. अदानी मामले पर सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने सेबी की तरफ से 2019 में हुए नियम बदलाव को लेकर सवाल उठाए थे.
क्या कहा सेबी ने? SEBI ने कहा कि उसने जो नए नियम बनाए हैं उनसे FPI के असल निवेशकों की पहचान आसान हो गई है. SEBI का यह हलफनामा इसलिए अहम है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि साल 1999 में नियमों में जो बदलाव से FPI के असल मालिकों की पहचान आसान नहीं रह गई है.
साल 2019 में सेबी ने फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर प्रोविजन 2014 में बदलाव करते हुए कथित रूप से ‘अपारदर्शी ढांचे’ को हटा दिया था. एक्सपर्ट कमिटी का कहना है कि अडानी समूह की कंपनियों में निवेश करने वाले विदेशी फंड्स में किसका आर्थिक हित है, इसकी पहचान सेबी के लिए इसीलिए मुश्किल हो रही है, क्योंकि उसने नियमों में बदलाव कर दिया है.
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