बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग (Karvy Stock Broking) पर बड़ी कार्रवाई की है. रेगुलेटर ने ग्राहकों के फंड और उनकी सिक्योरिटीज का गलत इस्तेमाल करने के मामले में कंपनी का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है. SEBI का यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा और किसी भी तरह के बकाए की जिम्मेदारी कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग की होगी.
ऐसे की धोखाधड़ी
SEBI ने बताया कि कार्वी अपने ग्राहकों के खाते से कंपनी के खाते में फंड ट्रांसफर करती थी और फिर इस फंड को ब्रोकरेज हाउस की ग्रुप कंपनियों में ट्रांसफर करके इससे आगे की रकम जुटाती थी. SEBI के आदेश के अनुसार, कार्वी ने अपने ग्राहकों के शेयर और सिक्योरिटीज जिसकी वैल्यू उस समय 2,700 करोड़ रुपए थी, उसे गिरवी रखकर कुल 2,032 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था.
खातों की नहीं दी जानकारी
सेबी ने बताया कि इस ब्रोकरेज फर्म ने ग्राहकों के बैंक खाते और डिपॉजिटरी खातों की जानकारी नहीं दी थी और न ही फॉरेंसिक ऑडिटर के साथ जांच में भी सहयोग किया. इसके अलावा, इसने ग्राहकों के फंड और सिक्योरिटीज का सेटलमेंट भी नहीं किया. दरअसल, कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग ने ग्राहकों के खाते को फंड जुटाने का जरिया बना लिया था. इसने ग्राहकों के शेयरों को गिरवी रखकर वित्तीय संस्थानों से सितंबर, 2019 तक 2,032.67 करोड़ रुपए की उधारी ली थी.
सेबी ने पहले भी लिया है एक्शन
ऐसा पहली बार नहीं है जब सेबी ने कार्वी पर सख्ती दिखाई है. इससे पहले अप्रैल 2023 में बाजार नियामक ने सिक्योरिटीज मार्केट से कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड (KSBL) और उसके प्रोमोटर को 7 साल के लिए बैन कर दिया था. इसके अलावा सेबी ने ‘पावर ऑफ अटॉर्नी‘ का गलत इस्तेमाल करने और पैसों की हेराफेरी करने को लेकर कार्वी पर 21 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया था. गौरतलब है कि बाजार नियामक ने नवंबर 2019 में कार्वी स्टोक ब्रोकिंग को नए ब्रोकरेज क्लाइंट जोड़ने पर बैन लगा दिया था और नवंबर 2020 में कार्वी को डिफॉल्टर घोषित कर दिया गया था.
कब मिलेगा ग्राहकों का पैसा?
कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के कारोबार पर रोक लगाने के बाद सेबी ने कंपनी के डीमैट खाते आईआईएफएल और एक्सिस सिक्योरिटी के लिए ट्रांसफर करा दिए थे. लेकिन ये ऐसे खाते थे जिनमें घोटाला नहीं हुआ था. जिन ग्राहकों के साथ घोटाला हुआ सेबी ने अब उनके पैसे जल्द से जल्द लौटाने का आदेश दिया है. रजिस्ट्रेशन रद्द करने के आदेश में यह शर्त जोड़ी गई है. जब ग्राहकों को पूरा पैसा मिल जाएगा, इसके बाद ही कंपनी का रजिस्ट्रेशन पूरी तरह रद्द माना जाएगा.