बाजार नियामक सेबी ने इनसाइड ट्रेडरों को राहत देने के लिए लचीला रुख अपनाया है. इसके तहत ट्रेडिंग प्लान को आसान बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया है. सेबी ने ब्लैक-आउट अवधि को खत्म करने, कूल-ऑफ अवधि में कमी लाने और आसान कीमत सीमा तय करने का प्रस्ताव रखा है. नियामक ने इस पर 15 दिसंबर तक टिप्पणियां मांगी हैं.
सेबी के अनुसार वैसे तो इनसाइडर ट्रेडिंग पर रोक है, लेकिन 2015 में शुरू की गई ट्रेडिंग योजना के तहत वरिष्ठ प्रबंधन कर्मी अपनी कंपनियों के शेयरों में ट्रेड कर सकते हैं. नियम के तहत इनसाइडरों को इसके लिए ट्रेडिंग प्लान बताना होता है, जिसमें शेयर कीमत, रकम और लेनदेन की तारीख पहले ही बतानी होती है. मगर अब सेबी ने नियमों में बदलाव का निर्णय लिया है. इसके तहत डिस्क्लोजर और ट्रेडिंग प्लान के क्रियान्वयन के बीच न्यूनतम कूल-ऑफ अवधि छह महीने से घटाकर चार महीने करने का प्रस्ताव किया है.
इसके अलावा कवरेज अवधि भी 12 महीने से घटाकर दो महीने करने, ब्लैक-आउट अवधि समाप्त करने और खरीद या बिक्री के लिए 20 फीसदी कीमत रखने की सिफारिश की गई है. सेबी ने कहा, ऐसी कीमत सीमा ट्रेडिंग प्लान जमा कराए जाने की तारीख को रहे बंद भाव के 20 फीसदी ऊपर या 20 फीसदी नीचे होनी चाहिए. अगर एक्सचेंज की कीमत इनसाइडर की तरफ से तय कीमत सीमा से बाहर है तो ट्रेड नहीं किया जाएगा.