प्रॉपर्टी बाजार में तेजी है. जमीन, घर या कमर्शियल प्रॉपर्टी, सबकी कीमतें बढ़ती जा रही हैं. रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी यानी घर और फ्लैट के रेंटल यील्ड में भी तेजी आई है. खासकर दिल्ली-NCR, मुंबई और बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहरों में… इसने किराएदारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. आइए जानते हैं रेंटल यील्ड क्या है? रेंटल यील्ड कितनी बढ़ी है? यील्ड बढ़ने से मकान मालिकों और किराएदारों पर किस तरह असर पड़ा है?
रेंटल यील्ड प्रॉपर्टी में निवेश पर मिलने वाला सालाना रिटर्न है, जिसे फीसदी यानी percentage में दर्शाया जाता है. रेंटल यील्ड ये बताती है कि एक प्रॉपर्टी अपनी खरीद मूल्य के मुकाबले किराए से कितनी कमाई कर रही है. आसान भाषा में कहें तो प्रॉपर्टी में निवेश पर किराए से कमाई को रेंटल यील्ड के रूप में दिखाया जाता है. ये प्रॉपर्टी के परफॉर्मेंस का इंडिकेटर है. रेंटल यील्ड दो तरह की हैं- ग्रॉस और नेट रेंटल यील्ड.
रेंटल यील्ड को उदाहरण से समझते हैं. Suppose आपने कोई प्रॉपर्टी 50 लाख रुपए में खरीदी. इसे रेंट पर देने से आपको हर महीने 20 हजार यानी सालाना 2,40,000 रुपए किराया मिलता है तो ग्रॉस रेंटल यील्ड 4.8 फीसदी होगी. यानी 50 लाख रुपए के प्रॉपर्टी निवेश पर किराए से 4.8 फीसदी का सालाना रिटर्न मिल रहा है.
ग्रॉस रेंटल यील्ड को कैलकुलेट करने के लिए सालाना किराया को प्रॉपर्टी के खरीद मूल्य से भाग देकर 100 से गुना किया जाता है. इसी तरह नेट रेंटल यील्ड कैलकुलेट करने के लिए सालाना किराया से सालाना खर्च को घटाकर प्रॉपर्टी के खरीद मूल्य से भाग दिया जाता है. फिर इसे 100 से गुना किया जाता है. नेट रेंटल यील्ड में प्रॉपर्टी की मेंटेनेंस कॉस्ट समेत दूसरे खर्च शामिल किए जाते हैं. जिससे निवेश पर रिटर्न की सटीक तस्वीर मिलती है.
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एनारॉक की हालिया रिपोर्ट बताती है कि देश के टॉप शहरों में हाउसिंग प्रॉपर्टी की रेंटल यील्ड में अच्छी खासी तेजी देखी गई है. साल 2024 की पहली तिमाही में IT सिटी बेंगलुरु में रेंटल यील्ड बढ़कर 4.45 फीसदी हो गई जो साल 2019 में 3.6 फीसदी थी. रेंटल यील्ड बढ़कर मुंबई में 4.15 फीसदी, गुरुग्राम में 4.1 फीसदी, पुणे में 3.85 फीसदी, कोलकाता में 3.8 फीसदी और नोएडा में 3.7 फीसदी हो गई है.
देशभर में रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की रेंटल यील्ड काफी समय से औसतन 2 से 3 फीसदी के बीच रहती आई है. कोविड के बाद ऑफिस, स्कूल-कॉलेज और कमर्शियल गतिविधियां दोबारा चालू होने से किराए के घरों की डिमांड बढ़ी. इसी के साथ डिमांड-सप्लाई में मिसमैच देखा गया.
दरअसल कोविड के दौरान कंस्ट्रक्शन गतिविधियां ठप रहीं, जिससे मार्केट में डिमांड के अनुरूप नए मकानों की सप्लाई नहीं हुई. इसके अलावा, महामारी के दौरान मकान मालिकों ने किराए नहीं बढ़ाए. जिसे ऑफिसेज खुलने के बाद एकदम से बढ़ाया गया. इस कारण IT सिटी बेंगलुरु समेत गुरुग्राम, पुणे, नोएडा और मुंबई जैसे बड़े शहरों में घरों के किराए में काफी तेजी देखी गई है. किरायों में ये तेजी अब भी जारी है.
एनारॉक की रिपोर्ट के मुताबिक, NCR की बात करें तो नोएडा सेक्टर 150 में साल 2023 के अंत में जिस 2BHK फ्लैट का किराया 22,000 रुपए था. वो साल 2024 की पहली तिमाही यानी जनवरी-मार्च के दौरान 9 फीसदी बढ़कर 24,000 रुपए हो गया है. द्वारका में किराया 25,800 से बढ़कर 27,400 रुपए. गोल्फ कोर्स रोड में 41,500 रुपए से बढ़कर 43,000 रुपए और न्यू गुरुग्राम में फ्लैट का रेंट 25,500 रुपए से बढ़कर 26,500 रुपए पर पहुंच गया. इसी तरह, बेंगलुरु के सरजापुर रोड और व्हाइट फील्ड में किराया 31,600 रुपए और 30,200 रुपए से बढ़कर क्रमश: 34,000 और 32,500 रुपए महीना हो गया. इस दौरान किराए में 8 फीसदी की तेजी दर्ज की गई.
देश के 7 प्रमुख शहरों की अहम लोकेशन पर साल 2024 की पहली तिमाही के बीच घरों के किराए में औसतन 4 से 9 फीसदी का उछाल आया है. घरों का किराया बढ़ने की वजह से रेंटल यील्ड यानी किराए से कमाई भी बढ़ी है जो मकान मालिकों के लिए शुभ संकेत है क्योंकि उनकी रेंटल इनकम बढ़ी है, जबकि किराएदारों के लिए ये चिंता की बात है. किराए की महंगाई की वजह से उनका मंथली बजट गड़बड़ा गया है. यही नहीं, कॉरपोरेट ऑफिसेस के पास बजट में घर मिलना भी मुश्किल हो रहा है.
हाउस रेंट में ये तेजी सिर्फ मेट्रो या बड़े शहरों तक सीमित नहीं है. छोटे शहरों में भी रेंट बढ़ा है. यानी मकान मालिकों की रेंटल यील्ड बढ़ी है. रियल एस्टेट जानकारों की मानें तो साल 2024 में भी मकानों का किराया बढ़ने के आसार हैं. अगर आप भी किराए का घर ढूंढ रहे हैं तो और ज्यादा रेंट देने के लिए तैयार रहें. किराए की महंगाई से थोड़ी राहत के लिए आप शहर के अच्छे इलाके यानी Prominent Location से थोड़ी दूर घर रेंट पर ले सकते हैं. लांकि कम किराए के चक्कर में घर इतनी दूर भी न लें कि आने-जाने में किराया और समय दोनों ज्यादा लग जाए…
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